सांकेतिक चित्र।
सांकेतिक चित्र।  Unsplash
शिक्षा

बिहार की लड़की स्कूल पहुंचने के लिए 1 पैर पर 1 किमी का तय करती है सफर

न्यूज़ग्राम डेस्क

बिहार के जमुई जिले की 10 वर्षीय दिव्यांग स्कूली छात्रा सीमा कुमारी इन दिनों अपनी ढृढ़ इच्छा शक्ति के कारण चर्चा का विषय बन गई है। दो साल पहले खैरा प्रखंड अंतर्गत अपने पैतृक गांव फतेहपुर में ट्रैक्टर के पहिए के नीचे आ जाने से सीमा का एक पैर टूट गया था। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि अगर उसका घायल पैर नहीं काटा गया तो उसकी मौत हो सकती है। उसके माता-पिता इस पर सहमत हो गए और डॉक्टरों ने उसका बायां पैर काट दिया था।

अपना एक पैर गंवाने के बावजूद सीमा ने उम्मीद नहीं खोई। वह स्कूल जाती थी। वह अपने घर से स्कूल तक 1 किमी की दूरी तय करने के लिए लंबी कूद तकनीक का उपयोग करती है और वह भी पीठ पर स्कूल बैग के साथ।

कक्षा 4 की छात्रा सीमा कहती है कि मैं पढ़ना चाहती हूं और शिक्षक बनना चाहती हूं ताकि अगली पीढ़ी के छात्रों को पढ़ा सकूं।

सीमा कहती हैं कि मेरे पिता और मां पढ़े-लिखे नहीं हैं।

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उसकी मां बेबी देवी कहती है कि जब उसने एक सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर खो दिया थो, तो वह घर पर रह रही थी। अन्य छात्र स्कूल जाते थे, वह अक्सर जोर देकर कहती थी कि वह भी पढ़ाई के लिए स्कूल जाना चाहती है। उसकी जिद के कारण, हमने उसे गांव के सरकारी स्कूल में भर्ती करा दिया। अब, वह स्कूल की पोशाक पहनना, स्कूल बैग में किताबें व्यवस्थित करना, उसे पीठ पर रखना और अपने दम पर स्कूल पहुंचने सहित हर काम करती है। वह स्कूल पहुंचने के लिए किसी भी व्यक्ति से कभी मदद नहीं लेती है ।

सीमा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें वह एक पैर से एक कदम आगे बढ़ते हुए स्कूल पहुंच रही है।

वीडियो के बाद जमुई के जिलाधिकारी अवनीश कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी बुधवार को गांव फतेहपुर गए और उन्हें तिपहिया साइकिल दी। अधिकारी उसके लिए एक कृत्रिम पैर की व्यवस्था करने पर भी विचार कर रहे हैं।

बिहार भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने ट्वीट किया कि सीमा पढ़ेगी भी और चलेगी भी।

(आईएएनएस/JS)

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