Success Story : शिक्षक समाज का दर्पण होता है। जैसे एक कुम्हार गीली मिट्टी को आकार देकर, उसे पका कर , एक सुंदर घड़ा बनाता है जिसका शीतल जल पी कर लोग अपना प्यास बुझाते है ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक बच्चों को शिक्षा के साथ - साथ अमूल्य विचार देकर उन्हें एक ऐसा व्यक्ति बनाता है जो समाज का कल्याण कर सकें। यही प्रेरणा के साथ मुकेश मात्र 22 वर्ष की उम्र में शिक्षक बने। उन्होंने मन में जो ठाना था उस सपने को पूरा कर दिखाया।
पिता कैलाशचंद मीणा और माता सरमा बाई के सपने को पूरा करने के लिए आठ किलोमीटर पैदल जाकर सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। कड़ी मेहनत से पहले ही दौर में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की परीक्षा पास कर लिया। वर्तमान में मुकेश राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मोहनपुरा में कार्यरत है। पहाड़ी की तलहटी पर एक झुग्गी-झोपड़ी में परिवार रहते है। घर में बिजली नहीं थी, टॉर्च जलाकर पढ़ाई की।
शुरू से ही मुकेश को पढ़ने में रूचि थी। परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। माता-पिता खेती में मजदूरी करके बच्चों का लालन-पालन करते थे। कर्जा लेकर बेटे की पढ़ाई कराई। कक्षा आठ में अच्छी रैंक आने पर टेबलेट मिल। मुकेश यही नहीं रूका उसके 10 वीं में 82 प्रतिशत व 12 वीं में 83 प्रतिशत अंक हासिल कर लैपटॉप मिला।
मेधावी छात्र होने से उसकी पढ़ाई में लग्न देखते हुए शिक्षक ने भी प्रेरित किया। 12वीं के बाद मुकेश का बीएसटीसी में चयन हुआ। बीएसटीसी में चयन होने के बाद शक्करगढ़ निवासी हाल गुढ़ा के शिक्षक हरलाल गुर्जर ने आर्थिक सहयोग किया। फिर शिक्षक बनने की तैयारी शुरू कर दी।
2021 में रीट की भर्ती आई और भर्ती में परीक्षा के दौरान पहले ही दौर में इस परीक्षा को पास कर लिया और मई 2022 में मुकेश की पोस्टिंग हो गई। इस परीक्षा में मुकेश ने प्रदेश में एसटी केटेगिरी में दूसरे नंबर, जबकि ऑल राजस्थान में 55 वें नंबर अंक हासिल किया।