World Poorest Country :यहां 85 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीच जीवन यापन करती है।(Wikimedia Commons) 
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यहां की 85 फीसदी आबादी जूझ रही है गरीबी से, जानें क्यों है ये दयनीय स्थिति

बुरुंडी की आबादी 1 करोड़ 20 लाख के करीब है, इनमें से 85 फीसदी आबादी घोर गरीबी में जीवन जीने को मजबूर है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आई एम एफ और वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 2023 में बुरुंडी को विश्व स्तर पर सबसे गरीब देश का दर्जा प्राप्त है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

World Poorest Country : गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है और इस समस्या से बहुत देश जूझ रहे हैं। कुछ देशों का हालात बेहद ही दयनीय है, ऐसे देशों के लिस्ट में अफ्रीकी महाद्वीप शमिल है, जो सबसे ज्यादा गरीब देश हैं, आपको जानकर हैरानी होगी की यहां 85 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीच जीवन यापन करती है। आइये जानते हैं इस मुल्क में गरीब लोग किस प्रकार अपना जीवन यापन करते है।

वर्ल्ड बैंक द्वार घोषित है ये

एक गरीब और गरीबी का दर्द समझने के लिए अफ्रीकी देश बुरुंडी के हालात देखने के काबिल भी नही है। इस देश सभी देशों को गरीबी के मामले में पीछे छोड़ दिया है। बुरुंडी की आबादी 1 करोड़ 20 लाख के करीब है, इनमें से 85 फीसदी आबादी घोर गरीबी में जीवन जीने को मजबूर है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आई एम एफ और वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 2023 में बुरुंडी को विश्व स्तर पर सबसे गरीब देश का दर्जा प्राप्त है। जीडीपी और अन्य आर्थिक संकेतकों के आधार पर इस मुल्क को दुनिया का सबसे गरीब घोषित किया गया है।

इस जातीय हिंसा के वजह से ही बुरुंडी की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चौपट हो गई। (Wikimedia Commons)

क्या है वजह इतने बुरे हालात का?

बुरुंडी पूर्वी अफ्रीका में स्थित देश है। यहां की आबादी मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। सालों तक इस मुल्क में ब्रिटेन और अमेरिका राज रहा है।आजादी मिलने के बाद यह देश खुशहाल था लेकिन वर्ष 1996 से यहां हालात खराब होने लग गए। दरअसल, बुरुंडी में 9 साल तक जातीय संघर्ष चला, जिसके कारण लाखों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। इस जातीय हिंसा के वजह से ही बुरुंडी की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चौपट हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे यह देश बदहाल होते हुए दुनिया के सबसे गरीब देशों की सूची में सबसे ऊपर आ गया।आज इस देश के लोग के लिए दो वक्त का खाना जुटा पाना भी मुश्किल है। ये देश इतना गरीब है की इन्हे दिनभर में 50 रुपये कमाना भी मुश्किल है। देश की बड़ी आबादी एक डॉलर से भी कम में गुजर बसर कर रही है।

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