पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक( Wikimedia Commons ) 
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पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. Ramesh Pokhriyal Nishank ने रचा कीर्तिमान

पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. Ramesh Pokhriyal Nishank की साहित्यिक उपलब्धियों को वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने एक विश्व कीर्तिमान के रूप में दर्ज किया है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ( Ramesh pokhriyal nishank ) की साहित्यिक उपलब्धियों को वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने एक विश्व कीर्तिमान के रूप में दर्ज किया है। निशंक की इस उपलब्धि पर रविवार को दिल्ली के साहित्य अकादमी में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय मुख्य अतिथि रहे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डॉ निशंक ( Ramesh pokhriyal nishank ) गरीब परिवार से रहे हैं पर संस्कारों की दृष्टि से वह अत्यंत समृद्ध परिवार में पैदा हुए। 'डॉ. निशंक का रचना संसार' नाम से 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी के अवसर पर एक अनवरत ऑनलाइन वेबिनार कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। अब तक इसके 60 एपिसोड प्रचारित हो चुके हैं । इसके अंतर्गत डॉ. निशंक के सोलह काव्य संग्रह, चार व्यक्तित्व विकास, चार पर्यटन ग्रन्थ, दस यात्रा वृत्तांत, तीन जीवनी सहित अन्य कथेतर साहित्य की साठ पुस्तकों पर देश के लगभग सभी राज्यों के प्रसिद्ध साहित्यकारों, शिक्षाविदों एवं समीक्षकों द्वारा चर्चा की गई है।

ज्ञातव्य है कि अब तक किसी भी साहित्यकार पर अनवरत ढंग से 50 एपिसोड पूर्ण करना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड़स ने इसको विश्व कीर्तिमान के रूप में दर्ज किया है।

वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन एवं हिमालय विरासत ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में निशंक के रचना संसार पर ऑनलाइन वेबीनार की निर्बाध श्रृंखला के लिए कीर्तिमान स्थापित होने पर सम्मान समारोह आयोजित किया गया।

सम्मान कार्यक्रम में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रजनीश कुमार, डॉ सुमित्रा कुकरेती, प्रति कुलपति इग्नू, डॉ गोविंद प्रसाद अध्यक्ष एनबीटी, डॉ रमेश पाण्डेय पूर्व कुलपति लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय की उपस्थिति रही।

हिमालय विरासत ट्रस्ट एवं वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस का आभार प्रकट करते हुए निशंक ने कहा कि हिंदी भाषा हम सब को जोड़ती है। पाण्डेय ने बताया कि नशंक की सृजनात्मकता और संवेदनशीलता से पाठकों पर विशेष प्रभाव पड़ा।

निशंक ने बताया कि वह बचपन से ही टूटे-फूटे शब्दों को अभिव्यक्त करते हुए सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे हैं। निशंक ने बताया कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने देश की आजादी के बाद साहित्य साधना को आगे ले जाने में सफलता पाई और उस दौरान कई कीर्तिमान भी टूटे हैं।

उल्लेखनीस है कि निशंक की पुस्तकों का तमिल, तेलुगु, उड़िया, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, डोगरी सहित अनेक भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, डच सहित अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।(आईएएनएस-SHM)

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