Benefits and Rules of Parikrama : पूजा-पाठ में कई नियमों का पालन किया जाता है। इन्हीं में से एक है देवी-देवताओं की परिक्रमा। मंदिर में परिक्रमा के बाद भगवान का आशीर्वाद लिया जाता है। परिक्रमा का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही महत्व है। परिक्रमा लगाना शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। जिस जगह पर प्रतिदिन पूजा होती है, वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार बढ़ जाता है और जब यह ऊर्जा इंसान के शरीर में प्रवेश करती है तो उस व्यक्ति का आत्मबल मजबूत होता है और उसको मानसिक शांति मिलती है।
क्या आप जानते है सबसे पहले परिक्रमा किसने लगाया था? प्रचलित कहानी के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को पूरी सृष्टि का चक्कर लगाने और सबसे पहले आने वाले को विजेता घोषित करने की एक प्रतियोगिता रखी। इस प्रतियोगिता में भगवान गणेश भगवान शंकर और माता पार्वती के चारों तरफ तीन बार घूम गए और उन्होंने ये प्रतियोगिता जीत ली। इसी कारण सारी सृष्टि के लोग भगवान को ही माता-पिता मानकर उनकी परिक्रमा करते हैं, तभी से परिक्रमा की शुरुआत हुई।
हम पूजा पाठ सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए करते है। सनातन धर्म में परिक्रमा लगाना बेहद शुभ माना गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति भगवान की परिक्रमा लगाता है, उसे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है तथा जब वह व्यक्ति घर जाता है तो घर में फैली नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। इसलिए भगवान की परिक्रमा करना महत्त्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार परिक्रमा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन की कमी नहीं होती।
परिक्रमा लगाने के भी कुछ नियम है जिसके अनुसार ही परिक्रमा करनी चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में लगानी चाहिए अर्थात भगवान के दाएं हाथ से बाएं हाथ की तरफ परिक्रमा लगाना शुभ माना जाता है। हमेशा परिक्रमा विषम संख्या में लगाई जाती है, जैसे 1, 3, 5, 7 या 9। परिक्रमा करते समय बात नहीं करना चाहिए। परिक्रमा करते समय मन में भगवान का ध्यान करना चाहिए।