तीरों की शैय्या पर लेते हुए भीष्म पितामह(Bhishma Pitamaha) (Wikimedia Commons)

 

भीष्म पितामह

धर्म

Bhishma Ashtami 2023: जानिए इस दिन का महत्व

भीष्म पितामह जिन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था उन्होंने आज ही के दिन देह त्याग किया था। आइए जानते हैं भीष्म अष्टमी के बारे में।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Vishakha Singh

न्यूज़ग्राम हिंदी: हर साल माघ महीने के शुक्लपक्ष के अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी(Bhishma Ashtami) के रूप में मनाया जाता है। भीष्म पितामह जिन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था उन्होंने आज ही के दिन देह त्याग किया था। आइए जानते हैं भीष्म अष्टमी के बारे में।

हिंदू धर्म के अनुसार महाभारत में भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। युद्ध के समय जब भीष्म पितामह घायल हो गए थें तब उन्होंने देह त्याग करने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतेजार किया और आज ही के दिन अपने प्राणों का त्याग किया। इसलिए इस दिन को भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

आइए जानते हैं भीष्म अष्टमी के बारे में(Bhishma Ashtami) (Wikimedia Commons)

आज के दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। आज तिल, कुश और जल से तर्पण करना अत्यंत फलदाई होता है। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि भीष्म अपने पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे इसलिए आज के दिन पुत्र कामना से किया गया व्रत भी फल देता है।

इस साल यह 28 जनवरी को मनाया जा रहा है। सुबह उठकर साफ़ नदी में स्नान करें या फिर नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं। नहाने के बाद साफ़ वस्त्र धारण करें और दाहिने कंधे पर गमछा रख लें। इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर के खड़े हो जाएं और हाथ में तिल, कुश और जल लेकर मंत्रोच्चारण करते हुए तर्जनी उंगली और अंगूठे के बीच वाले हिस्से से नीचे किसी बर्तन में गिरा दें।

अर्पण करते हुए निम्न मंत्रों का उच्चारण करें -

"वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।

गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।

भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।

आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।"

VS

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