Naagpanchmi 2022 - एक मंदिर जहां विष्णु नहीं, शिव होते हैं नाग पर विराजमान
Naagpanchmi 2022 - एक मंदिर जहां विष्णु नहीं, शिव होते हैं नाग पर विराजमान Nagchandreshwar Temple
धर्म

Naagpanchmi 2022 - एक मंदिर जहां विष्णु नहीं, शिव होते हैं नाग पर विराजमान

Abhay Verma

प्राचीन काल से हिन्दू धर्म में नागों की पूजा की जाती है। नागों को भगवान शिव के गले का आभूषण भी माना जाता है। वहीं शेष नाग को भगवान विष्णु का सिंहासन कहा जाता है। हर देवी- देवता के पूजन के लिए कुछ ख़ास दिन बनाए गए हैं।

नागों के पूजन के लिए भी एक ख़ास दिन नागपंचमी बनाया है। इस दिन पूरे देश में नागों की पूजा की जाती है। देश के अलग- अलग हिस्सों में मंदिरो में नागों की पूजा होती है। ऐसा ही एक मंदिर शिवनगरी उज्जैन में है। पर, ये मंदिर है बेहद अलग। आइए जानते हैं इसकी अनूठी विशेषता-

महाकाल मंदिर के तीसरे तल पर हैं नागचंद्रेश्वर

12 ज्योतिर्लिंग में से एक भगवान महाकाल का मंदिर उज्जैन में स्थित है। यहां देश भर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। सावन माह में भगवान शिव अपने भक्तों से मिलने स्वयं नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं और अपनी प्रजा का हाल लेते हैं।

मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है नागचंद्रेश्वर मंदिर। यहां पर एक अनोखी प्रतिमा है। आमतौर पर हम भगवान विष्णु को सर्प आसन पर देखते हैं। किंतु यहां पर महादेव, देवी पार्वती और गणेश के साथ सर्प आसान पर बैठे हैं। कहा जाता है की इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था। ऐसी प्रतिमा विश्व के किसी भी मंदिर में नहीं है।

नागचंद्रेश्वर को लेकर मान्यताएं

सर्पराज तक्षक ने एक बार शिव की घोर तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अमरता का वरदान दिया। इसके बाद सर्पराज शिव के साथ ही रहने लगे। शांति की प्राप्ति के लिए इन्होंने शिव का सानिध्य चुना। इन्हें अपनी भक्ति में कोई बाधा नहीं चाहिए थी।

इसी भावना का सम्मान करते हुए सिर्फ नागपंचमी (Naagpanchami) पर ही मंदिर के द्वार खुलते हैं। बाकी के दिनों में मंदिर को बंद रखा जाता है ।

ऐसा माना जाता है की नागपंचमी(Naagpanchami) के दिन सर्पराज तक्षक के दर्शन करने से सभी सर्प दोष खत्म हो जाते हैं। इसलिए इस दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

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