Neelkantheshwar mahadev mandir udaipur : इस मंदिर के शिवलिंग पर पीतल का आवरण चढ़ा हुआ है इस आवरण को केवल शिवरात्रि के दिन ही उतारा जाता है। (Wikimedia Commons) 
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यहां सूर्य की किरणों से होता है पहला अभिषेक, जानिए क्या है शिवलिंग पर चढ़े फूल का रहस्य

Subtitle : यह मंदिर मध्य प्रदेश स्थित विदिशा जिले के गंज बासौदा तहसील के उदयपुर ग्राम में स्थित है। यहां प्रत्येक महाशिवरात्रि पर पांच दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Neelkantheshwar mahadev mandir udaipur : उदयपुर के नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण दसवीं शताब्दी में राजा भोज के भतीजे उदयादित्य ने विक्रम संवत् 1116 से 1137 के मध्य कराया था। कहा जाता है की यहां सूर्य की पहली किरण महादेव जी पर अवतरित होती है। इस मंदिर की प्रत्येक कला में आपको भिन्नता देखने को मिलेगा, कोई भी कला एक जैसी नहीं है। इस मंदिर की कुल ऊंचाई 51 फुट है। नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर प्रदेश के विश्व विख्यात खजुराहो मंदिर की श्रेणी में आता है।

यह मंदिर मध्य प्रदेश स्थित विदिशा जिले के गंज बासौदा तहसील के उदयपुर ग्राम में स्थित है। यहां प्रत्येक महाशिवरात्रि पर पांच दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है। मुख्य मंदिर का निर्माण मध्य में किया गया है और इस मंदिर में 3 प्रवेश द्वार हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित हैं। इस मंदिर के शिवलिंग पर पीतल का आवरण चढ़ा हुआ है इस आवरण को केवल शिवरात्रि के दिन ही उतारा जाता है।

क्या है शिवलिंग पर चढ़े फूल का रहस्य

नीलकंठेश्वर मंदिर से जुड़ी एक बात लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। दरहसल, जब सुबह इस मंदिर के पट को खोला जाता है तब वहां शिवलिंग पर फूल चढ़ा मिलता है। इस बात को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि बुन्देलखण्ड के सेनापति आल्हा और ऊदल महादेव के अन्यय भक्त थे। वह हर रात को यहां आकर महादेव की पूजा करने के साथ ही उन्हें कमल का फूल अर्पण करते है और जब सुबह मंदिर के पट खोले जाते है तो महादेव के चरणों में फूल चढ़ा मिलता है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह अभी भी रहस्य बना हुआ है। वहीं मंदिर में रात को किसी का भी प्रवेश पूरी तरह से वर्जित रहता है।

मुख्य मंदिर का निर्माण मध्य में किया गया है और इस मंदिर में 3 प्रवेश द्वार हैं। (Wikimedia Commons)

मुगलों ने प्रतिमाओं के साथ किया छेड़खानी

मंदिर की बाहरी दीवार पर विभिन्न देवी- देवताओं की मूर्तियां पत्थरों पर उकेरी गई हैं। अधिकांश मूर्तियां भगवान शिव के विभिन्न रूपों से सुसज्जित हैं। लेकिन इसके अलावा वहां भगवान गणेश, भगवान शिव की नृत्य में रत नटराज, महिषासुर मर्दिनी, कार्तिकेय आदि की मूर्तियां हैं और स्त्री सौंदर्य को प्रदर्शित करती मूर्तियां भी हैं। वहीं मंदिर प्रांगण के चारों ओर बनी भगवान की प्रतिमाएं खंडित है।किसी प्रतिमा का मुंह गायब है तो किसी का हाथ और पैर। इन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मुगलों ने आक्रमण के समय इन प्रतिमाओं के साथ छेड़खानी की होगी।

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