Sheetala Ashtami 2024 : शीतला अष्टमी को बसोड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। (Wikimedia Commons)
Sheetala Ashtami 2024 : शीतला अष्टमी को बसोड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। (Wikimedia Commons) 
धर्म

कब है शीतला अष्टमी? इस दिन माता को चढ़ाया जाता है बासी खाने का भोग

न्यूज़ग्राम डेस्क

Sheetala Ashtami 2024 : हर साल चैत्र मास की अष्टमी तिथि के दिन शीतला अष्टमी की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी को बसोड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला की आराधना से बच्चों को दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती हैं इसके साथ ही इस दिन माता शीतला की आराधना से व्यक्ति को बीमारियों से मुक्ति मिलती है। शीतला माता को बासी भोजन काफी प्रिय है इसलिए शीतला अष्टमी पर देवी शीतला की विधि-विधान से पूजा करने के बाद उन्हें बासी खाने का भोग लगाया जाता है। आपको बता दें कि शास्त्रों के अनुसार, शीतला माता के आशीर्वाद से चेचक खसरा आदि रोगों से राहत मिल सकती है।

शीतला अष्टमी का धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी माना गया है। वैज्ञानिक महत्व से देखा जाए तो इस मौसम में ठंडा खाना खाने से पाचन तंत्र अच्छा बना रहता है। ऐसे में जो लोग शीतला अष्टमी पर ठंडा खाना खाते हैं, वह लोग इस मौसम में होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं।

भोग के लिए आप मीठे चावल, राबड़ी, पुए, हलवा, रोटी आदि पकवान तैयार कर सकते हैं।(Wikimedia Commons)

कब हैं शीतला अष्टमी ?

इस बार शीतला अष्टमी 2 अप्रैल मंगलवार के दिन है। शीतला अष्टमी के दिन ताजा भोजन नहीं पकाया जाता है ऐसे में आप सोमवार के दिन ही शीतला अष्टमी की पूजा के लिए भोजन तैयार कर सकते हैं। भोग के लिए आप मीठे चावल, राबड़ी, पुए, हलवा, रोटी आदि पकवान तैयार कर सकते हैं। ये भोग अगले दिन यानी शीतला अष्टमी के दिन देवी को चढ़ाया जाता है।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि

शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद एक थाली में एक दिन पहले बनाए गए पकवान जैसे मीठे चावल, रोटी आदि रख लें। इसके साथ ही पूजा के लिए एक थाली में आटे के दीपक, रोली, हल्दी, अक्षत, वस्त्र बड़कुले की माला, मेहंदी, सिक्के आदि रख लें। इसके बाद शीतला माता की पूजा करें, दीपक जलाएं और उन्हें जल अर्पित करें। वहां से थोड़ा जल घर के लिए भी लाएं और घर आकर उसे छिड़क दें। इसके बाद माता को यह सभी चीजें अर्पित करें फिर परिवार के सभी लोगों को रोली या हल्दी का टीका लगाएं, यदि पूजन सामग्री बच जाए तो गाय को अर्पित कर दें।

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