पूरा मंदिर "जय श्री महाकाल" के जयघोष से गूंज उठा। मंदिर (Temple) के पुजारी पंडित आशीष शर्मा (Priest Pandit Ashish Sharma) ने बताया कि सुबह चार बजे शुरू हुई भस्म आरती में बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया। पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से जलाभिषेक के बाद उन्हें नया मुकुट, रुद्राक्ष और मुंड माला पहनाई गई। आज के श्रृंगार की खास बात थी कि भगवान को श्री गणेश के स्वरूप में सजाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े ने शिवलिंग पर भस्म अर्पित की। मान्यता है कि भस्म अर्पण के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।
वहीं, इस दृश्य ने श्रद्धालुओं के बीच भक्ति का अद्भुत माहौल बनाया। भक्तों ने बाबा महाकाल के इस विशेष स्वरूप के दर्शन कर खुद को धन्य माना। मंदिर प्रशासन ने कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा यानी 8 अक्टूबर से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक तीन आरतियों के समय में बदलाव किया है।
अब दयोदक आरती सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 15 मिनट तक, भोग आरती सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 11 बजकर 15 मिनट तक और संध्या आरती शाम 6:00 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक होगी।
हालांकि, भस्म आरती सुबह 4 से 6 बजे, सायंकालीन पूजन शाम 5:00 से 5 बजकर 45 मिनट और शयन आरती रात 10 बजकर 30 मिनट से ग्यारह बजे तक अपने निर्धारित समय पर ही होगी। मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से नए समय का पालन करने की अपील की है।
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