Uttapanna Ekadashi - हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष के दौरान एकादशी का व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की उपासना करने पर श्रीहरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु ने अपनी शक्तियों से देवी एकादशी के उत्पन्न किया था और राक्षस मुर का वध किया था। इसी कारण से इस एकादशी को उत्पन्ना एकदशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को आरोग्यता,संतान सुख की प्राप्ति, मोक्ष, पापों से मुक्ति और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।
एकादशी तिथि 8 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से शुरू होगी और समापन 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को ही मनाई जाएगी और पारण 9 दिसंबर को दोपहर में 1 बजकर 16 मिनट से लेकर 3 बजकर 20 मिनट पर होगा।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके घर के मंदिर की सफाई करने के बाद दीप जलाएं। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और फिर उन्हें नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, पंचामृत, अक्षत, चंदन और मिष्ठान अर्पित करे। उसके बाद भगवान की आरती करें और भोग लगाएं। भगवान को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें।
एकादशी पर शाम को घी का दीपक जलाएं ऐसा करने से आपके घर में सुख और समृद्धि आएगी।
एकादशी पर पीले फलों, अन्न और वस्त्र का दान करें।
भगवान विष्णु को गेंदे की माला या फूल अर्पित करें।
गाय तथा गरीबों में प्रसाद का वितरण अवश्य करें।