मोक्षदा एकादशी:- मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन को मोक्षदा एकादशी कहते हैं [Wikimedia Commons]
धर्म

मोक्षदा एकादशी के क्या है मायने और महत्व ?

महात्मा पर्वत ने बताया कि उनके पूर्वज ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था जिस कारण वह नरक की यातनाएं भोग रहे हैं। ऋषि बोले महर्षि मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षिता एकादशी पर श्री हरि विष्णु का विधिपूर्वक व्रत और दान करें इससे पितृ नरक से मुक्त हो जाएंगे और तब से मोक्षदा एकादशी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया।

Sarita Prasad

मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) कहते हैं। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी का व्रत (Mokshada Ekadashi Vrat) 23 दिसंबर, शनिवार को रखा जाएगा। मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से काफी पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार इस व्रत का महत्व बहुत अधिक है। तो चलिए आज हम आपको मोक्षदा एकादशी से जुड़ी और उनके महत्व से जुड़ी सभी बातें बताते हैं।

क्यों किया जाता है मोक्षदा एकादशी का व्रत

पौराणिक कथा (Mythology) के अनुसार चंपा नगरी में राजा वैखानस का राज था। नगर की जनता राजा का प्रजा के प्रति न्याय व्यवस्था से बहुत खुश थी, वह अपनी जनता का पूरा ख्याल रखते थे। एक रात राजा ने सपने में देखा कि उनके पूर्वज नरक की प्रताड़ना झेल रहे हैं। पितरों की स्थिति की यह दशा देखकर वह बहुत दुखी हुआ। सुबह होते ही उन्होंने राज्य के पुरोहित को बुलाकर पूर्वजों की मुक्ति का उपाय पूछा।

एक रात राजा ने सपने में देखा कि उनके पूर्वज नरक की प्रताड़ना झेल रहे हैं।

ब्राह्मणों ने कहा की समस्या का हाल पर्वत ऋषि ही निकाल सकते हैं। राजा वैखानस राजपुरोहित की बात सुनते ही पर्वत ऋषि के आश्रम पहुंचे और नरक भोग रहे पितरों की मुक्ति का मार्ग जानने का आग्रह किया। महात्मा पर्वत ने बताया कि उनके पूर्वज ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था जिस कारण वह नरक की यातनाएं भोग रहे हैं। ऋषि बोले महर्षि मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षिता एकादशी पर श्री हरि विष्णु का विधिपूर्वक व्रत और दान करें इससे पितृ नरक से मुक्त हो जाएंगे और तब से मोक्षदा एकादशी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया।

मोक्षदा एकादशी का महत्त्व

मान्यता अनुसार इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है। पापों से छुटकारा मिलता है, तथा जीवन में सुख शांति आती है। मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) मोक्ष देते हैं। इतना ही नहीं इस दिन पितरों के निर्मात तर्पण करने से उन्हें भी परमधाम का वास प्राप्त होता है।

मान्यता अनुसार इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है।

इस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान भी दिया था इसलिए इस दिन गीता जयंती भी रहती है। इस दिन गीता पाठ पढ़ें तथा उपदेशों को जीवन में उतरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही पूजा में धूप दी एवं अन्य सामग्रियों से विष्णु को प्रसन्न करना चाहिए।

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