Baidyanath Temple : यहां गुरु-शुक्र के अस्त होने के बाद भी लोग शुभ कार्य करते हैं। (Wikimedia Commons) 
झारखण्‍ड

केवल इस मंदिर में पूरे साल होते हैं मांगलिक कार्य, यहां नहीं माना जाता है किसी प्रकार का दोष

मांगलिक कार्य संपन्न कराने के लिए गुरु और शुक्र का उदय होना जरूरी होता है। लेकिन, झारखंड में एक ऐसा मंदिर है, जहां किसी तरह का दोष नहीं लगता है। यहां गुरु-शुक्र के अस्त होने के बाद भी लोग शुभ कार्य करते हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Baidyanath Temple: हिंदू धर्म में कई तिथियां ऐसी मानी जाती है, जिन तिथियों पर आप कोई मांगलिक कार्य नहीं कर सकते हैं, जैसे खरमास, पंचक, पितृपक्ष आदि। इसके साथ ही शुक्र और गुरु ग्रह के अस्त होने पर भी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। ऐसे में लोग शुभ कार्य जैसे - मुंडन, जनेऊ, शादी-विवाह नहीं करते हैं। माना जाता है कि मांगलिक कार्य संपन्न कराने के लिए गुरु और शुक्र का उदय होना जरूरी होता है। लेकिन, झारखंड में एक ऐसा मंदिर है, जहां किसी तरह का दोष नहीं लगता है। यहां गुरु-शुक्र के अस्त होने के बाद भी लोग शुभ कार्य करते हैं।

सारे दोष कट जाते हैं यहां

झारखंड का बाबा बैद्यनाथ मंदिर ही केवल एक ऐसा मंदिर है, जहां पर न ही खरमास का प्रभाव पड़ता है और न ही शुक्र-गुरु के अस्त होने का। मंदिर के तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने बताया कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर में मुंडन, जनेऊ, विवाह आदि करने से सभी प्रकार के दोष कट जाते हैं। इस मंदिर में मांगलिक कार्य करने के लिए कोई तिथि या नक्षत्र नहीं देखा जाता है। इस मंदिर में प्रवेश करते ही खरमास, चातुर्मास या शुक्र और गुरु के अस्त होने का प्रभाव समाप्त माना जाता है। इसके साथ ही मांगलिक कार्य संपन्न होने के बाद शुभ फल की प्राप्ति होती है।

इस मंदिर में मांगलिक कार्य करने के लिए कोई तिथि या नक्षत्र नहीं देखा जाता है।(Wikimedia Commons)

क्या है वजह

तीर्थ पुरोहित ने बताया कि गुरु-शुक्र अस्त होने के बाद भी देवघर के बाबा बैजनाथ मंदिर में मुंडन, जनेऊ आदि शुभ कार्य किए जाते हैं। बाबा बैद्यनाथ मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां 12 महीने मांगलिक कार्य किए जाते हैं क्योंकि, इस मंदिर में भगवान शिव और माता शक्ति का वास है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में किसी भी तिथि या नक्षत्र में मांगलिक कार्य करने से किसी प्रकार का दोष नहीं लगता है। यहीं वजह है कि यहां पर देश के कोने-कोने से 12 महीने श्रद्धालु पहुंच कर मुंडन, जनेऊ, विवाह आदि शुभ कार्य करते हैं।

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