नीतीश कुमार ने पटना से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।
1977 से बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे।
वर्ष 1989 में बिहार जनता दल के महासचिव बने और इसी वर्ष नौवीं लोकसभा के लिए नीतीश कुमार को चुना गया।
वर्ष 1990 से लेकर 2000 तक बिहार के विभिन्न विभागों में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे।
वर्ष 1990-1999 के बीच दसवीं से 13वीं लोकसभा तक के लिए सदस्य चुने गए।
साल 2000 में पहली बार केवल 7 दिन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने।
नीतीश कुमार 2001 से 2004 तक केंद्रीय रेल मंत्री रहे।
2005 से लेकर 2023 तक बिहार मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार ने 9 बार अपना नाम दर्ज किया है।
दलित परिवार और स्वतंत्रता सेनानी के घर में जन्मे नीतीश कुमार
बिहार की राजनीति में सशक्त, शक्तिशाली और प्रभावशाली रूप से अडिग रहने वाले राजनेता नीतीश कुमार है। नीतीश ने बिहार की जनता की प्रत्येक समस्या को बखूबी समझा और बिहार में समाज कल्याण एवं विकास की एक अलग मिसाल कायम की है। नीतीश जी का जन्म साल 1951 में एक दलित तथा स्वतंत्रता सेनानी परिवार में हुआ था। नीतीश कुमार के पिता कविराज राम लखन सिंह एक आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं स्वतंत्रता सेनानी थे।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नीतीश कुमार ( Nitish Kumar) के पिता ने भाग लिया था। नीतीश को राजनीतिक गुणों का ज्ञान जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, जॉर्ज फर्नांडिस और कर्पूरी ठाकुर से जैसे महान राजनीतिज्ञों से प्राप्त हुआ था। नीतीश कुमार के वैवाहिक जीवन की बात की जाए तो उनका विवाह 22 फरवरी 1973 को इंजीनियर मंजू कुमारी सिन्हा से हुआ था।
इंजीनियरिंग की शिक्षा और राजनीति में पहली सक्रियता
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिर्फ अपनी राजनीतिक काल में सफलता हासिल नहीं की है बल्कि वह एक सफल इंजीनियर भी है। नीतीश कुमार ने 1971 में बिहार के प्रचलित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। डिग्री प्राप्त करने के बाद नीतीश बिहार राज्य विद्युत विभाग में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर कार्यरत थे।
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ने वर्ष 1977 में पहला कदम रखते हुए इसी वर्ष जनता पार्टी की तरफ से प्रथम विधानसभा चुनाव लड़ा था। वर्ष 1985 में नीतीश कुमार को बिहार विधानसभा में बतौर सदस्य के तौर पर चुना गया। इसके बाद वर्ष 1987 में नीतीश बिहार युवा लोकदल के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1989 में बिहार जनता दल के महासचिव के रूप में नीतीश को देखा गया।
नौवीं लोकसभा से लेकर 13वीं लोकसभा में चयन
नीतीश कुमार के लिए साल 1989 बेहद खास रहा। उन्हें पहली बार नौवीं लोकसभा के लिए बतौर सदस्य के तौर पर शामिल किया गया। यह नीतीश का केंद्र में सर्वप्रथम कार्यकाल रहा। वर्ष 1990 में अप्रैल से नवंबर तक नीतीश कुमार को कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। राजनीति में सक्रिय होते हुए 1991 में दसवीं लोकसभा के लिए एक बार फिर नीतीश कुमार का चयन हुआ। इस वर्ष राजनेता को जनता दल का महासचिव और संसद में जनता दल के उप नेता के रूप में देखा गया। वर्ष 1993 में नीतीश कृषि समिति के अध्यक्ष घोषित किए गए। इसी बीच आम चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हुई।
साल 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए भी नीतीश कुमार का चयन हुआ। उन्हें 1996-1998 तक रक्षा समिति के सदस्य के तौर पर भी देखा गया। इतना ही नहीं बल्कि 1998 में 12वीं लोकसभा और 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए बतौर सदस्य के तौर पर नीतीश कुमार को चुना गया। इसी वर्ष वह केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर भी नज़र आए।
पहली बार मुख्यमंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री संबंधित कार्यकाल
नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर में वर्ष 2000 सबसे बड़े कामयाबी के तौर पर जाना जाता है। वर्ष 2000 में नीतीश कुमार को पहली बार 7 दिन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर चुना गया। उनका यह कार्यकाल 3 मार्च 2000 से लेकर 10 मार्च 2000 तक ही रहा। मुख्यमंत्री कार्यकाल के समाप्त होने के बाद में एक बार फिर केंद्रीय कृषि मंत्री पद पर आ गए। इतना ही नहीं बल्कि वर्ष 2001 से 2004 तक के बीच नीतीश केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में नजर आए। नीतीश के केंद्रीय मंत्री कार्यकाल में वर्ष 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे।
वर्ष 2004 में 14वीं लोकसभा में नीतीश एक बार फिर सदस्य के तौर पर चुने गए। 2005 में नीतीश कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। कार्यकाल के तौर पर 24 नवंबर 2005 से लेकर 24 नवंबर 2010 तक वह मुख्यमंत्री के तौर पर सक्रिय रहे।
26 नवंबर 2010 को नीतीश तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर देखे गए। 2010 से लेकर 2014 तक वह लगातार मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहे। हालांकि 2014 में स्वयं के फैसले के मुताबिक उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त किए गए। हालांकि पार्टी की असहमति और नाराजगी के आधार पर वह एक बार फिर 2015 में सीएम पद पर विराजित हुए।
Also Read: मायावती: दलितों की सच्ची नेता या राजनीति के लिए किया गया दलितों का इस्तेमाल?
महागठबंधन में मुख्यमंत्री बने
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन देखा गया जिसमें अहम पार्टियां जैसे जेडीयू, कांग्रेस, राजद और लेफ्ट गठबंधन जैसे दल शामिल रहे। ऐसे ही एनडीए के खिलाफ जीत के बाद पांचवीं बार नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि 2017 में आईआरसीटीसी घोटाले में राजद एवं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम दर्ज होने की वजह से नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए। एक बार फिर जुलाई 2017 में एनडीए से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार ने छठी बार मुख्यमंत्री के पद पर अपना आसन ग्रहण किया।
2020 से लेकर 2023 तक नौवीं बार मुख्यमंत्री बने
साल 2020 में एनडीए गठबंधन के तहत विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार चुने गए। वही नीतीश कुमार का पलटवार जारी रहा और 2022 में एनडीए से फिर से नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए। वही 2022 में नीतीश को आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनते हुए देखा गया।
फिर साल 2023 में एनडीए से नाता जोड़कर नीतीश कुमार ने इसी वर्ष नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर अपना नाम दर्ज किया। इसी तरह नीतीश कुमार 2005 से लेकर 2023 तक बिहार के मुख्यमंत्री पद पर सक्रिय रहते हुए राजनीतिक सफर को आगे बढ़ते रहे।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आपको नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर के बारे में बताया है। इस आर्टिकल में हमने जाना कि कैसे नीतीश कुमार एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार में जन्मे और राजनीतिक सफर में आगे बढ़ते हुए वह बिहार के कृषि मंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे। इसके अलावा हमने नीतीश कुमार के नौ बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने और उस दौरान आई चुनौतियों को भी जाना।
OG/PSA