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बिहार : किसान आंदोलन के जवाब में भाजपा का ‘किसान चौपाल’

NewsGram Desk

By : मनोज पाठक

एक ओर जहां केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन को विपक्ष हवा दे रहा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसान आंदोलन की आग को शांत करने के लिए 'किसान चौपाल' लगा रही है। भाजपा अपने किसान चौपाल के जरिए किसानों को कृषि कानूनों से मिलने वाले लाभों से अवगत करा रही है।

इस अभियान में भाजपा ने ना केवल बिहार के मंत्रियों और सासंदों को उतारा है, बल्कि बिहार में केंद्रीय मंत्री भी 'किसान चौपाल' लगाकर कृषि कानूनों के विषय में किसानों को समझा रहे हैं। भाजपा के एक नेता ने बताया कि सांसदों और विधायकों सहित मतदान केंद्र स्तर पर कार्यकताओं को भी इसके लिए विशेष टास्क सौंपे गए हैं।

बिहार भाजपा सोशल मीडिया के प्रमुख मनन कृष्ण ने बताया कि अब तक राज्य में करीब 59 से 60 किसान चौपाल का आयोजन किया गया है। इसके तहत रविवार को ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, सांसद रामपाल यादव सहित राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ़ संजय जायसवाल अलग-अलग सभाओं में कृषि कानूनों के बारे में जनता को अवगत कराया।

भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा बताते हैं, "कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष किसानों को गुमराह कर रही है। कृषि कानून को समझाने के लिए पार्टी द्वारा व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। राज्य के जिला मुख्यालय सहित अन्य स्थानों पर किसान चौपाल लगाया जा रहा है, जहां कृषि कानूनों की बारीकियों और उससे किसानों को मिलने वाले लाभ की उन्हें जानकारी दी जा रही है।"

सूत्रों का कहना है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर भाजपा के वरिष्ठ नेता से लेकर मतदान केंद्र स्तर के कार्यकर्ता जनता को अवगत करा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कृषि कानून को लेकर बिहार में विपक्षी दल आंदोलनात्मक रूख अपनाए हुए हैं। बिहार में विपक्षी दल विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच, हालांकि बिहार के अंदर किसान सड़कों पर नहीं उतरे हैं।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में किसान राजग के साथ हैं। मोदी ने कहा कि 2006 में बिहार की पहली राजग सरकार ने सालाना 70 करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाकर बाजार समिति अधिनियम समाप्त किया और लाखों किसानों को 1 फीसद बाजार समिति कर से मुक्ति दिलाई थी। कांग्रेस ने 2019 के घोषणापत्र में मंडी-बाजार समिति व्यवस्था खत्म करने का वादा किया था।

मोदी ने कहा कि जो मंडी व्यवस्था बिहार में 14 साल पहले खत्म हो गई और जिसे कांग्रेस 2019 में खत्म करना चाहती थी, वह काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी कानून के जरिये कर दिया, तो कांग्रेस परेशान क्यों हैं?(आईएएनएस )

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