रोशनी के पर्व दीपावली पर बिहार के दियो की रौनक बढ़ने वाली है। इस साल बिहार में दीपावली के मौके पर गांव से लेकर घर तक मधुबनी पेंटिंग से सजे दीये रोशन होंगे। मधुबनी पेंटिंग से सजे इन दीयों की मांग केवल बिहार ही तक नहीं अन्य प्रदेशों में भी खूब हो रही है। इस कार्य से न केवल मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को आर्थिक लाभ हुआ है, बल्कि मधुबनी पेंटिंग घर-घर तक पहुंच भी रही है। मधुबनी पेंटिंग के कलाकार न केवल दीयों में अपनी कला उकेर रहे हैं बल्कि ये लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के अलावा थाली, प्लेट और कटोरा और ट्रे सहित अन्य वस्तुओं पर भी अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं।
बिहार की मधुबनी पेंटिंग का लोहा मानती है दुनिया। (Wikimedia commons)
मुजफ्फरपुर जिले के पुरानी बाजार निवासी और मधुबनी पेंटिंग कलाकार इप्सा पाठक कहती हैं कि मधुबनी पेंटिंग से सजे इन दीयों की मांग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जयपुर और बेंगलुरु जैसे शहरों में भी हो रही है। उन्होंने बताया कि मधुबनी और मुजफ्फरपुर की करीब 100 से ज्यादा कलाकार बीते एक माह से दीपावली पर इन वस्तुओं के निर्माण में लगी हैं। इसके अलावा धार्मिक द्राष्टिकोण से शुभ माने जाने वाले कछुआ, हाथी, उल्लू, पान के पत्ते की आकृति वाले दीयों की काफी मांग है।
उन्होंने बताया कि देश में रह रहे मिथिला के लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं और अब यह पूरा कारोबार आनलाइन हो रहा है। विभिन्न माध्यमों से इंटरनेट द्वारा आर्डर लिया जाता है और इसके बाद कूरियर से आपूर्ति की जा रही है। साथ ही साथ छठ पर्व को लेकर सूप पर भी मधुबनी आकृति के उकेरा जा रहा है। इसमें करीब 100 कलाकार लगी हुई हैं। पिछले वर्ष भी छठ के मौके पर सूप और दउरा (टोकरी) पर मधुबनी आकृति से सजाया गया था।
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मधुबनी पेंटिंग करने वाले कलाकारों का कहना है कि रद्दी कागज और कार्टन को पानी में भिगोकर लुगदी बना ली जाती है और उसमें कुछ मात्रा में मिट्टी और मुल्तानी मिट्टी के अलावा नीम के पेड़ की छाल, नीम की पत्ती का पानी मिला लिया जाता है इसे गूथकर मिट्टी की तरह बना लिया जाता है। उसी से दीया सहित अन्य वस्तुएं तैयार की जाती हैं जिसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
Input: IANS; Edited By: Lakshya Gupta