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भाषा से काम का आकलन भी किया जा सकता है?

Shantanoo Mishra

हाल ही में नए मोदी कैबिनेट(Modi cabinet) के नेताओं ने अपना-अपना पदभार संभाला है। लेकिन इस नई कैबिनेट के आते ही कई सवाल उठने लग गए हैं। सरकार पर आरोप-प्रत्यारोप लगना एक निश्चित क्रिया है, किन्तु किसी के भाषा(English) के ज्ञान पर उसे ट्रोल किया जाना, यह हिंदी और हिंदी बोलने वाले करोड़ों लोगों पर प्रतिघात है। आपको बता दें कि नए नियुक्त किए गए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया(Health Minister Mansukh Mandaviya) अपना कार्यभार संभाला है। जिसके साथ ही कई नेटिजन्स(जो पार्टी विशेष के समर्थक हैं) ने स्वास्थ्य मंत्री(Health Minister) के अंग्रेजी(English) पर सवाल उठाते हुए उन्हें अयोग्य बताया। मनसुख मंडाविया(Mansukh Mandaviya) गुजरात के बड़े नेता हैं, जिन्हें इस बार मोदी कैबिनेट में जगह मिली है।

मनसुख मंडाविया(Mansukh Mandaviya) के अंग्रेजी पर तब ट्रोल शुरू हुआ जब उनके पुराने (लगभग 2012-2013) के ट्वीट्स को सोशल मीडिया पर शेयर किया गया। साथ ही लिखा गया कि क्या हमारे स्वास्थ्य मंत्री को अंग्रेजी(English) भी नहीं आती है?

(साभार- ट्विटर)

यह वही ट्वीट्स हैं जिनसे देश के नए स्वास्थ्य मंत्री को ट्रोल किया। यदि इन ट्वीट्स की गहराई में देखेंगे तो इन सभी अकाउंट धारकों के तार एक पार्टी विशेष से जुड़ते हैं। साथ ही इन ट्वीट्स से यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि अंग्रेजी को किस तरह इन नेटीजेंस ने अपनी 'मातृभाषा' के रूप में स्वीकार लिया है और इनके लिए हिंदी बोलने या अंग्रेजी न जानने वाले लोग अनपढ़ हैं।

इन अंग्रेजी भाषा-प्रेमियों को इतिहास याद दिलाते हुए कई नेटिजन्स ने जवाब देते हुए कुछ ट्वीट्स किए हैं। जिनमें से सबसे लायक ट्वीट था पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव का उदाहरण। पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू यादव बिहार के बड़े नेता थे जिनकी अंग्रेजी के लिए आज उन्हें याद किया जाता है। ट्विटर यूजर ने लिखा कि " जिस शासन ने भारत को रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव दिया, वह मोदी की स्वास्थ्य मंत्री की पसंद का मजाक उड़ा रहा है। और क्यों? क्योंकि उन्होंने सालों पहले अंग्रेजी भाषा में गलत वाक्य बनाया था। मानो अंग्रेजी उनकी पहली भाषा है।"

आपको बता दें कि भारत की लगभग आधी जनसंख्या हिंदी भाषा को बोलचाल और लिखने में प्रयोग करती है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भाजपा के दिवंगत नेता अटल बिहारी बाजपाई ने हिंदी भाषा का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी किया है। किन्तु आज के आधुनिक युग में अंग्रेजी को प्रथम भाषा या पढ़े-लिखों की भाषा मान लिया गया है। यदि किसी को अंग्रेजी नहीं आती है तो यह तथाकथित आधुनिक युवा जिन्हें न तो भाषा का ज्ञान है और न ही हिंदी भाषा की समझ, वह दूसरों को अनपढ़ समझते हैं।

भाजपा के नेता एवं राष्ट्रिय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसी ट्रोलिंग के मामले पर अपना एक पुराना वीडियो ट्विटर पर साझा किया जिसमें वह अंग्रेजी की खामियां और हिंदी की विशेषताएं बताते दिखाई दे रहे हैं। साथ ही वह उन ट्रोलर्स पर भी निशाना साध रहे हैं जिन्हें अंग्रेजी के ज्ञान से काम और अनुभव दिखाई देता है।

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