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जानिए कौन है निहंग सिख और क्यों कहा जाता है गुरु की फौज

Lakshya Gupta

बीते कुछ दिनों से मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक आपने "निहंग सिख" शब्द को कई बार सुना होगा। आज हम आपको इन्हीं निहंग सिख का भूतकाल और वर्तमान बताएंगे।

निहंग शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है, इसके पीछे भी काफी भेद है। कुछ इतिहासकार निहंग को एक फारसी शब्द मानते है जिसका अर्थ मगरमच्छ होता है। कहा जाता है, यह नाम मुगलों ने दिया था क्योंकि सिख लड़ाके युद्ध में मगरमच्छ की तरह युद्ध करते थे। मुगलों का मानना था कि जिस तरह पानी में मगरमच्छ को हराना मुश्किल है उसी प्रकार युद्ध में निहंगों को हराना आसान नहीं है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि निहंग, संस्कृत शब्द निशंक से लिया गया है जिसका अर्थ जिसे कोई शंका न हो, कोई डर न हो, मोह न हो। निहंग शब्द का इस्तेमाल श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में भी हुआ है। यहां इस शब्द का अर्थ निडर और बेसब्र बताया गया है।

निहंग सिख ऐसे सिख हैं जो दस गुरुओं के आदेशों के पूर्ण रूप से पालन करने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं और प्रेरणाओं से ओतप्रोत होते हैं। दस गुरुओं के काल में यह सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी होते थे। वह गुरु महाराजों द्वारा रची गई रचना गुरु ग्रंथ साहिब के प्रहरी अब तक हैं। यदि कभी सिख धर्म पर दुर्भाग्यपूर्ण प्रहार हो तो निहंग उस समय अपने प्राणों की परवाह किये बिना "सिख" और "गुरु ग्रंथ साहिब" की रक्षा आखरी सांस तक करते हैं। यह पूर्ण रूप से सिख धर्म के लिए हर समय समर्पित होते हैं, और आम सिखों को मानवता का विशेष ध्यान रखने की ओर प्रेरित करते रहते हैं l निहंग संप्रदाय की उत्पत्ति 1699 में मानी जाती है जब गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा संप्रदाय का निर्माण किया था। गुरु गोविंद सिंह ने इस युद्धक सेना का निर्माण किया था जिस कारण इसे गुरु की फौज भी कहा जाता है। निहंग सिखों ने अहमद शाह अब्दाली सहित कई आक्रमणकारीयो से लड़ाई लड़ी थी।

निहंग सिख की शान होती है उनकी पगड़ी। (Wikimedia commons)

निहंग सिखों की पोशाक-

निहंग सिक्कों की पोशाक के पीछे भी एक कहानी बताई जाती है। कहा जाता है कि गुरु तेग बहादुर के चौथे पुत्र फतेह सिंह, एक बार नीले रंग का चोला और एक डुमाला के साथ नीली पगड़ी पहने हुए गुरु की उपस्थिति में प्रकट हुए थे।अपने बेटे को इतना प्रतापी देखकर गुरु ने कहा कि यह खालसा के प्रतापी सैनिक निहंगों की पोशाक होगी तभी से निहंग सिखों की पोशाक का रंग नीला होता है। उनकी पगड़ी ऊंची होती है जिसमें अर्धचंद्राकार दो धारी तलवार लगी होती है। निहंग सिख के पास सदैव कमरबंद खंजर भी रहता है। निहंग सिख आक्रामकता दर्शाने के लिए अपने पास सदैव तलवार और बंदूक रखते है। इसके अलावा इन के वेश में युद्ध के जूते, कड़ा और ढाल शामिल होती है।

वर्तमान में निहंग सिखों की स्थिति –

निहंग सिख पूरे वर्ष अपने-अपने डेरों में रहते हैं, लेकिन आनंदपुर साहिब, दमदमा साहिब, तलवंडी साबो और अमृतसर की वार्षिक तीर्थयात्रा पर निकलते हैं। इसके अलावा ह धार्मिक आयोजनों में भाग भी लेते हैं। निहंग सिख मार्शल आर्ट कौशल और घुड़सवारी का प्रदर्शन करते है। वर्तमान में निहंग सिख किसान आंदोलन में सक्रिय हैं। हाल फिलहाल में हुई लखबीर सिंह लिचिंग मामले में भी निहंग सिख के शामिल होने से गुरु की फौज अब बदनाम हो रही है लेकिन यह पहली घटना नहीं है जब गुरु की फौज पर इस तरह का आरोप लगा हो। इसके पहले भी एक पुलिस अधिकारी के हाथ काटने का मामला आया था जिसके कारण निहंग सिख की वर्तमान स्थिति पर सवाल खड़े हुए हैं।

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