Hepatitis In Children : हेपेटाइटिस से लिवर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है, लिवर फेल और गंभीर मामलों में जान का खतरा बढ़ जाता है। (Wikimedia Commons)
Hepatitis In Children : हेपेटाइटिस से लिवर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है, लिवर फेल और गंभीर मामलों में जान का खतरा बढ़ जाता है। (Wikimedia Commons) 
स्वास्थ्य

बच्चों में आम दिखने वाले ये लक्षण, बन सकते हैं हेपेटाइटिस का कारण

न्यूज़ग्राम डेस्क

Hepatitis In Children : हेपेटाइटिस रोग लिवर से संबंधित है। इसमें व्यक्ति को कई प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। हमारे शरीर का लिवर एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पोषक तत्वों का अवशोषण करता है और खून को फिल्टर करता है। यदि, ठीक समय पर हेपेटाइटिस की पहचान कर ली जाए, तो इससे होने वाले लक्षणों को कम करना संभव है। आज हम आपको बच्चों में हेपेटाइटिस के कुछ मुख्य प्रकार के बारे में बताएंगे।

हेपेटाइटिस से लिवर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है, लिवर फेल और गंभीर मामलों में जान का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में हेपेटाइटिस चिंता का विषय होता है, क्योंकि यह संक्रामक रोग है। यदि किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस है तो वह अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। ऐसे में बच्चों को हेपेटाइसटिस के मरीज से दूरी बनाए रखना चाहिए।

हेपेटाइटिस के प्रकार

वायरल इंफेक्शन के कारण ही बच्चों को हेपेटाइटिस हो सकता है। इसके तीन मुख्य प्रकार होते हैं। इसमें हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी को शामिल किया जाता है। इसके अलावा भी बच्चों को अन्य प्रकार के हेपेटाइटिस भी हो सकते हैं। लेकिन, बच्चों में ज्यादातर हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी का खतरा अधिक होता है।

यह संक्रामक रोग है। यदि किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस है तो वह अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। (Wikimedia Commons)

हेपेटाइटिस ए

किसी संक्रमित व्यक्ति के वायरस बच्चे के हाथों के जरिए मुंह से शरीर में जा सकते हैं। इस दौरान बच्चे को सिरदर्द, उल्टी, बुखार, भूख न लगना और दस्त की समस्या हो सकती है। हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए इसका वैक्सीन उपलब्ध है।यह वैक्सीन एक से दो साल तक के बच्चों को दी जा सकती है।

हेपेटाइटिस बी

यह हेपेटाइटिस का एक गंभीर प्रकार है। इसमें संक्रमित व्यक्ति का रक्त व शरीर का अन्य तरल पदार्थ जब स्वस्थ व्यक्ति व बच्चे के रक्त में प्रवेश करते हैं, तो वह बच्चे को संक्रमित कर सकते हैं। गंभीर मामलों में इसका इलाज पूरी उम्र चल सकता है।बच्चों को इससे बचाव के लिए वैक्सीन दी जाती है। यह वैक्सीन चार बार दी जाती है, जिसका पहला डोज बच्चे के जन्म के 24 घंटों के अंदर दी जाती है। इससे बचाव के लिए आप बच्चों को बाहर से आने के बाद हाथ-पैर धोने के बाद ही खाना खाने की आदत डालें। इससे बच्चे को संक्रमित होने की आंशका कम हो जाती है।

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