गैसलाइटिंग एक छिपा हुआ मानसिक शोषण है। यह आपको अंदर से तोड़ सकता है। (Sora AI) 
स्वास्थ्य

गैसलाइटिंग : छुपा मानसिक शोषण जो शरीर को भी कर देता है बीमार

गैसलाइटिंग (Gaslighting) एक मानसिक शोषण की प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति को बार-बार उसकी सोच, याददाश्त और भावनाओं पर शक करवाया जाता है। इससे तनाव, नींद की कमी, पाचन खराबी और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। सही समय पर पहचानकर प्रोफेशनल मदद लेना ज़रूरी है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

गैसलाइटिंग क्या है ?

गैसलाइटिंग (Gaslighting) एक मानसिक और भावनात्मक शोषण का तरीका है। यह सीधे तौर पर आपके शरीर पर असर नहीं करता, लेकिन इससे होने वाला तनाव और मानसिक परेशानी धीरे-धीरे आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचा सकती है। क्या आपने कभी खुद से यह सवाल किया है कि, “शायद मैं ही गलत हूं?” या फिर, “क्या वो सही कह रहे हैं, या मुझे ही सब गलत लग रहा है?” अगर ऐसा बार-बार होता है, तो हो सकता है कि आप गैसलाइटिंग के शिकार हो रहे हों।

गैसलाइटिंग (Gaslighting) यह एक शोषण है, जिसमें कोई व्यक्ति बार-बार आपको यह एहसास दिलाने की कोशिश करता है कि आप भूलने लगे हैं, आपकी सोच ठीक नहीं है या आप ज़्यादा संवेदनशील हैं। इसका मकसद होता है आपको भ्रमित करना, कमजोर बनाना और नियंत्रण में रखना।

यह शब्द पहली बार 1938 के एक नाटक और 1944 की फिल्म "Gaslight" से लोकप्रिय हुआ, जिसमें एक पति अपनी पत्नी को इस हद तक भ्रमित करता है कि वह अपनी मानसिक स्थिति पर ही शक करने लगती है।

गैसलाइटिंग कैसे होती है ?

गैसलाइटिंग (Gaslighting) की शुरुआत होती है उस व्यक्ति के स्मृति पर सवाल उठाने से जो गैसलाइटिंग के शोषण से पीड़ित है, जैसे - “तुम्हें कुछ याद नहीं रहता”, “तुम्हारी याददाश्त बहुत खराब है”, “तुम बहुत ज्यादा सोचते हो”, “हर बात पर इतना भावुक मत हो जाया करो” गैसलाइटिंग से पीड़ित व्यक्ति से इस प्रकार के सवाल करने से गैसलाइटिंग की शुरुआत होती है।

गैसलाइटिंग (Gaslighting) की सबसे खतरनाक बात यह है कि यह धीरे-धीरे होता है। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगता है। व्यक्ति भरोसेमंद लगता है, और फिर धीरे-धीरे वह आपको यह एहसास दिलाने लगता है कि आपकी सोच, आपकी यादें और आपके फैसले सही नहीं हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, आप खुद पर शक करने लगते हैं और उस व्यक्ति पर भरोसा करने लगते हैं जो आपको ही धोखा दे रहा होता है।

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. कशिका जैन का कहना है कि गैसलाइटिंग (Gaslighting) का सीधा असर शरीर पर नहीं, बल्कि यह आपके मन पर बहुत गहरा असर डालता है।और जब मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है, तो धीरे-धीरे शरीर पर भी असर पड़ता है।

गैसलाइटिंग एक मानसिक और भावनात्मक शोषण का तरीका है। यह सीधे तौर पर आपके शरीर पर असर नहीं करता, लेकिन इससे होने वाला तनाव और मानसिक परेशानी धीरे-धीरे आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचा सकती है। (Sora AI)

गैसलाइटिंग (Gaslighting) के संकेत को हम कई प्रकार से पहचान सकते है जैसे - यदि आप खुद को लेकर लगातार असमंजस में रहते हैं, अपनी यादों पर भरोसा नहीं कर पाते, बार-बार माफ़ी मांगते हैं, किसी के सामने शोषक को ही बचाते हैं, खुद को कमजोर, बेकार और असफल मानते हैं, तो ये गैसलाइटिंग के स्पष्ट संकेत हो सकते हैं।

गैसलाइटिंग (Gaslighting) आपके आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य को धीरे-धीरे कमजोर कर देता है। इसके परिणामस्वरूप आपको अत्यधिक चिंता, डिप्रेशन, आत्म-संदेह,आत्मिक आघात (Emotional Trauma) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह एक गंभीर मानसिक हिंसा है, जो कभी-कभी शारीरिक हिंसा में भी बदल सकती है।

गैसलाइटिंग (Gaslighting) सेनिपटने के लिए सबसे पहले सबूत इकट्ठा करें एक डायरी रखें, जिसमें हर घटना को तिथि और समय के साथ नोट करें, फोटो खींचें या वॉइस मेमो रिकॉर्ड करें, भरोसेमंद व्यक्ति से घटना के बारे में चर्चा करें दूसरा है सुरक्षित रहें सबूतों को छिपाकर या किसी विश्वसनीय व्यक्ति के पास रखें, डिवाइस लॉक करें, ब्राउज़र हिस्ट्री हटाएं, जरूरत हो तो दूसरा फोन या रिकॉर्डर खरीदें तीसरा है सेफ्टी प्लान बनाएं एक सुरक्षित जगह की सूची बनाएं, इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर तैयार रखें, जरूरत पड़ने पर रिश्ते से निकलने की योजना बनाएं ।

गैसलाइटिंग (Gaslighting) को नजरअंदाज करना ख़तरनाक हो सकता है। अगर आपको लगे कि आप मानसिक रूप से थक चुके हैं और आपकी स्थिति लगातार बिगड़ रही है, आप अकेले महसूस कर रहे हैं, तो आपको मदद लेने में देर नहीं करनी चाहिए।

निष्कर्ष

गैसलाइटिंग (Gaslighting) एक छिपा हुआ मानसिक शोषण है। यह आपको अंदर से तोड़ सकता है। और अगर समय पर कदम न उठाया जाए, तो यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। इसलिए अगर आपको लगता है कि कोई आपको जानबूझकर कमजोर बना रहा है, तो चुप न रहें। मदद लें, बात करें, और खुद को फिर से मजबूत बनाएं। [Rh/PS]

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