पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (IGIMS) में हाल ही में एक ऐसा चौकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया है। यहां पर एक 42 साल के शख्स की आंख के नीचे की हड्डी में दांत निकल आया था। जो की डॉक्टरों के अनुसार यह मामला मेडिकल साइंस के लिए बेहद दुर्लभ (Rare) मामलों में से एक है। भारत में अब तक ऐसे 2-3 केस ही दर्ज किए गए हैं, जिसमे से एक मामला यह भी है।
इस परेशानी की शुरुआत कैसे हुई ?
मरीज़ का नाम गोपनीय रखा गया है, लेकिन उनका पहचान छिपाने के लिए नाम बदल कर रखा गया है उनका नकली नाम "सुरेश" रखा गया है। सुरेश बिहार के सिवान ज़िले के रहने वाले हैं। उनका यह समस्या अक्टूबर 2024 में शुरू हुआ, उन्हें सबसे पहले ऊपरी दांत के पास से खून आना शुरू हुआ। इस समस्या के शुरुआत में उन्होंने अपने गाँव के स्थानीय डॉक्टर को दिखाया, जिन्होंने उनका इलाज किया और दिसंबर तक सुरेश बिल्कुल ठीक हो गए।
लेकिन मार्च 2025 में हालात फिर बिगड़ने लगा। सुरेश ने महसूस किया कि उनकी दाईं आंख और दांतों के बीच, यानी गाल पर गांठ जैसी बन रही है। धीरे-धीरे उन्हें धुंधला दिखाई देने लगा। सिर के दाहिने हिस्से में लगातार दर्द रहने लगा। चक्कर आना, थकान और हर समय नींद आने जैसी समस्या ने उनकी दिनचर्या बिगाड़ दी। सुरेश अपनी इस समस्या से परेशान होकर बताते हैं कि "मेरा पूरा काम धंधा चौपट हो गया था। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या बीमारी है।"
गांव के डॉक्टर ने सुरेश को पटना जाकर जांच कराने की सलाह दी। इसके बाद सुरेश IGIMS पहुँचे। यहाँ दंत विभाग ने उनकी पूरी जांच की और सीबीसीटी (Cone Beam Computed Tomography) स्कैन करवाया। यह एक हाई-टेक एक्स-रे तकनीक है, जो दांत, जबड़े और चेहरे की 3D इमेज दिखाती है। जांच रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी दंग रह गए। स्कैन में साफ पता चला कि सुरेश की आंख की हड्डी में एक दांत फंसा हुआ है। यह दांत अपनी सामान्य जगह यानी जबड़े में नहीं उगा था, बल्कि आंख के बेहद संवेदनशील हिस्से में विकसित हो गया था।
आखिर आंख में दांत कैसे उग आया ? यह सवाल सबसे चौंकाने वाला था। IGIMS के ओएमआर डिपार्टमेंट की हेड, डॉ. निम्मी सिंह ने बताया कि यह एक डेवलपमेंटल एनोमली यानी विकास संबंधी विसंगति है। जब बच्चा मां के गर्भ में होता है, तो उसके शरीर और चेहरे के साथ-साथ दांत भी बनते हैं। कभी-कभी इस प्रक्रिया के दौरान दांत को बनाने वाला तत्व अपनी जगह से हटकर शरीर के किसी और हिस्से में पहुंच जाता है। वहां भी वह सक्रिय हो सकता है और दांत का रूप ले सकता है। यानी सुरेश के मामले में दांत का बीज आंख की हड्डी तक पहुंच गया और वहीं पर विकसित होने लगा। यह मामला बेहद गंभीर था क्योंकि दांत जिस जगह उगा था, वहीं से कई नसें आंख तक जाती हैं। अगर सर्जरी में ज़रा सी भी चूक हो जाती तो सुरेश की आंख की रोशनी जा सकती थी।
डॉ. प्रियांकर सिंह, जो इस ऑपरेशन के मैक्सिलोफेशियल सर्जन थे, उन्होंने बताया कि "दांत की जड़ें ऑर्बिट फ्लोर में थीं, जबकि उसका ऊपरी हिस्सा मैक्सिलरी साइनस में था। शरीर ने इसे फॉरेन बॉडी समझकर इसके चारों ओर सिस्ट बना लिया था। यही सिस्ट चेहरे पर सूजन और दर्द की वजह बन रहा था।" मैक्सिलरी साइनस दरअसल आंख, नाक और ऊपरी जबड़े के बीच का हिस्सा होता है। क्योकि दांत वहीं फंसा था, इसलिए ऑपरेशन बेहद पेचीदा हो गया था।
यह ऑपरेशन कैसे हुआ ?
सर्जरी (Surgery) से पहले डॉक्टरों ने सोचा कि आंख के पास से चीरा लगाकर दांत निकाला जाए। लेकिन इससे चेहरे पर निशान पड़ने का खतरा था और आंख को भी नुकसान हो सकता था। आख़िरकार डॉक्टरों की टीम ने फैसला किया कि मुंह के अंदर से चीरा लगाया जाएगा। यानी दांत तक पहुँचने के लिए जबड़े के अंदर से रास्ता बनाया गया। कई घंटों तक चली इस नाजुक सर्जरी (Surgery) के बाद डॉक्टरों ने दांत को सावधानीपूर्वक निकाल लिया। इस दौरान 10–12 टांके लगाए गए।
ऑपरेशन के बाद सुरेश पूरी तरह स्वस्थ हो गए और उनकी आंख की रोशनी भी बिल्कुल सुरक्षित थी। डॉ. निम्मी सिंह के अनुसार, मरीज़ की आंख से जो दांत निकला उसका आकार प्रीमोलर दांत जितना था। प्रीमोलर दांत हमारे मुंह में आगे के नुकीले दांत और पीछे के दाढ़ दांतों के बीच होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज़ के मुंह में सभी सामान्य दांत पहले से मौजूद थे। यानी यह एक नया दांत था जो की सामान्य दांत से बिलकुल अलग था। ऐसे दांत को सुपरन्यूमरी टूथ कहा जाता है।
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सर्जरी के कुछ ही दिनों बाद सुरेश की तबीयत बेहतर होने लगी। चेहरे की सूजन कम हो गई, सिर दर्द और चक्कर की समस्या गायब हो गई। सबसे बड़ी राहत यह रही कि उनकी आंखों की रोशनी बिल्कुल सुरक्षित है। सुरेश ने खुशी जताते हुए कहा,"ऑपरेशन के बाद अब मैं बिल्कुल सामान्य महसूस कर रहा हूँ। अब कामकाज भी शुरू कर सकता हूँ।" सुरेश ने डॉक्टरों की टीम को दिल से धन्यवाद दिया, और अब वह बहुत खुश हैं और सामान्य महसूस कर रहें हैं।
भारत में अब तक ऐसे मामले केवल 2-3 ही सामने आए हैं। डॉक्टरों के अनुसार, यह दुनिया भर में भी बेहद दुर्लभ स्थिति है। सामान्यत: दांत जबड़े और मुंह तक ही सीमित रहते हैं। लेकिन आंख या नाक जैसे हिस्सों में दांत का विकसित होना मेडिकल साइंस की नज़र में आश्चर्यजनक घटना है।
निष्कर्ष
सुरेश के इस समस्या से हमें यह सिख मिलती है कि शरीर में अगर छोटी सी भी समस्या हो जो सामान्य समस्या न लगे उसको हल्के में कभी नहीं लेना चाहिए। अगर समय पर जांच और सही इलाज न कराया गया होता, तो शरीर के किसी भी अंग को नुकशान पहुंच सकता है जैसे सुरेश का यह दांत वाला समस्या उनकी आंख की रोशनी छीन सकता था और चेहरे की हड्डियों को भी नुकसान पहुंचा सकता था।
पटना के IGIMS के डॉक्टरों ने न सिर्फ एक दुर्लभ (Rare) मेडिकल केस को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, बल्कि एक मरीज़ की ज़िंदगी को भी बचा लिया। यह पूरी घटना मेडिकल साइंस के लिए एक चमत्कार (Miracle) है और महत्वपूर्ण केस स्टडी भी है, यह आम लोगों के लिए एक चेतावनी भी है "असामान्य लक्षणों को नजरअंदाज न करें।" [Rh/PS]