न्यूजग्राम हिंदी: हिंदू (Hindu) धर्म में नदियों (River) को मां के समान माना जाता है। इसी कारण से भारत (India) में पवित्र नदियों की पूजा की जाती है। वैसे तो हिंदू धर्म में कई नदियों का जिक्र है। लेकिन इनमें यमुना (Yamuna) और गंगा (Ganga) को सबसे ऊपर माना गया है और इन नदियों का इतिहास भी सबसे पुराना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती की पहली नदी किसे माना गया है और वह कौन सी नदी है जो गंगा और यमुना के आगमन से पहले बहा करती थी।
आइए आज हम आपको पृथ्वी की सबसे पुरानी नदी के बारे में बताते हैं। हम आपको इससे जुड़े हुए श्राप के बारे में भी बताएंगे और इसकी कथा के साथ ही हम आपको इसके हिंदू धर्म में महत्व के बारे में विस्तार से बताएंगे।
• मां गंगा भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न हो धरती पर आई थी लेकिन मां गंगा के आने से पहले भी एक नदी हुआ करती थी।
• गंगा नदी से पहले पृथ्वी पर सरस्वती नदी बहा करती थी। यह नदी माता सरस्वती के कमल से निकली थी।
• वेदों के अनुसार सरस्वती नदी मां सरस्वती का ही रूप है और इन्हें देवी स्वरूप भी माना जाता है लेकिन बाद में यह नदी धीरे-धीरे लुप्त हो गई।
• ऐसा कहा जाता है कि इस नदी के लुप्त होने के पीछे एक श्राप है इस नदी को श्राप देने वाले कोई और नहीं बल्कि महर्षि दुर्वासा (Durwasa) थे।
• महाभारत (Mahabharat) का युद्ध सरस्वती नदी के किनारे पर ही लड़ा गया था। इस युद्ध से जिस भी योद्धा का रक्त बहा वह सरस्वती नदी में जा मिला।
मां गंगा भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न हो धरती पर आई
• कुछ वक्त बाद जब ऋषि दुर्वासा इस नदी के किनारे पूजा कर रहे थे तब उन्हें नदी में रक्त को देखकर क्रोध आ गया क्योंकि उनकी पूजा भंग हो चुकी थी।
• इसके बाद उन्होंने क्रोध में आकर सरस्वती नदी को लुप्त होने का श्राप दे दिया।
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