Ashadhi Amavasya 2022: वैदिक शास्त्रों और पुराणों में अमावस्या का वर्णन उस दिन के संबंध में बताया जाता है जिस दिन चंद्रमा पूर्णतः आँखों से ओझल रहता है। अपने 30 दिन के घटने-बढ़ने के क्रम को पूरा करता हुआ चाँद एक दिन पूर्णतः आँखों से ओझल हो जाता है। शास्त्र ने इसी तिथि को अमावस्या कहकर बताया है। पूरे वर्ष के महत्वपूर्ण तिथियों में अमावस्या की तिथि अपने आप में एक खास तिथि है, जिस दिन कई दैवीय शक्तियों के साथ-साथ अपने पितृगणों और पूर्वजों को खास तरीके से पूजा अर्पण करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
आषाढ़ मास में आने वाली इस अद्भुत अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। आषाढ़ी अमावस्या पर इन तरीकों से कर सकते हैं अपने पितरों को प्रसन्न:
- प्रातः काल उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। यदि नदी में ना नहा सकें तो घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए।
- स्नान के पश्चात पितरों के श्राद्ध हेतु पिंडदान, तर्पण इत्यादि करें और पशु पक्षियों को भोजन दें, जिससे पितृगण प्रसन्न होते हैं।
- इस दिन एक लोटे में दूध और मिश्री से मिश्रित जल को पीपल के वृक्ष में चढ़ाने और सरसों का दीपक जलाने से भी पितरों का प्रसन्नता भरा आशीष प्राप्त होता है।
- मान्यता है कि, पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति अगर अमावस्या के दिन पीपल का वृक्ष लगाकर इसकी सेवा करे और हर अमावस को पौधे के नीचे दीपक जलाए तो, उसके जीवन से पितृ दोष समेत समस्त अन्य दोष और परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।
- इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराने का विधान है। यदि इस दिन ब्राह्मण को घर बुलाकर उन्हें ससम्मान भोजन अथवा दान किया जाए, और साथ ही गरीब जरूरतमंदों को भी दान किया जाए तो, घर के पितृ अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन रामचरितमानस अथवा भगवद्गीता का पाठ करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
(उपर्युक्त जानकारी सामान्य जानकारियों और लोक मान्यताओं के आधार पर है। NewsGram Hindi इसकी पुष्टि नहीं करता है।)