EL Nino Effect: काल बनकर आया यह इफ़ेक्ट भारत सहित दुनिया भर में मचा रहा तबाही  
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EL Nino Effect: काल बनकर आया यह इफ़ेक्ट भारत सहित दुनिया भर में मचा रहा तबाही

एल नीनो(El Nino) तापमान में नए रिकॉर्ड बना सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो पहले से ही एल नीनो के दौरान औसत से अधिक तापमान का अनुभव करते हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूज़ग्राम हिंदी: भारत सहित पूरी दुनिया भीषण गर्मी, घातक चक्रवात और मानसून की कमी के कारण सूखे के जोखिम से जूझ रही है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि समुद्र के गर्म होने की घटना एल नीनो अब आधिकारिक तौर पर आ गया है। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के अनुसार, एल नीनो(El Nino) तापमान में नए रिकॉर्ड बना सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो पहले से ही एल नीनो के दौरान औसत से अधिक तापमान का अनुभव करते हैं।

स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, एल नीनो आम तौर पर हर दो से सात साल में होता है और इसमें मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास समुद्र की सतह औसत से ज्यादा गर्म हो जाती है।

उन्होंने कहा, एल नीनो तापमान के लिए नए रिकॉर्ड बना सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो पहले से ही एल नीनो के दौरान औसत से अधिक तापमान का अनुभव करते हैं।

पिछले महीने, एल नीनो से पहले की घटना केल्विन तरंगें भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण अमेरिका के तट की ओर बढ़ी।

नासा के अनुसार, देखा गया कि केल्विन तरंगें - जो समुद्र की सतह पर लगभग 2 से 4 इंच (5 से 10 सेंटीमीटर) ऊंची और सैकड़ों मील चौड़ी हैं - पश्चिम से पूर्व की ओर भूमध्य रेखा के साथ दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर चली हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष एल नीनो के आने से वैश्विक तापमान कितना तक जाएगा, इसके बारे में कुछ पता नहीं है। साथ ही यह अगले पांच वर्षों के भीतर ग्लोबल वामिर्ंग 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने में अपना योगदान दे सकता है, जिससे विनाशकारी जलवायु परिवर्तन हो सकता है।



स्काईमेट के एक अधिकारी ने कहा, अप्रैल 2023 में, एक एल नीनो 'वॉच' जारी किया गया था, जो एल नीनो सदर्न ओशिलेशन घटना की शुरूआत का संकेत देता है। तब से, सभी सूचकांक सकारात्मक-तटस्थ बने हुए हैं। भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर का आधा हिस्सा अभी भी सीमा रेखा पर है, जबकि पूर्वी भाग लगातार वामिर्ंग प्रदर्शित कर रहा है।

--आईएएनएस/VS

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