Earth Time Hour -कुछ सालों बाद दिन 24 के बजाए 25 घंटे होने वाले हैं। (wikimedia commons) 
विज्ञान

अब दिन में 24 घण्टे नहीं बल्कि 25 घण्टे मिलेंगे।

काश दिन में 24 के बजाए 25 घंटे होते। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो बता दें कि आपकी ये ख्वाहिश भी पूरी होने वाली है। दिन लंबा होते जा रहा है। कुछ सालों बाद दिन 24 के बजाए 25 घंटे होने वाले हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Earth Time Hour - कई बार काम के लिए पूरा दिन भी कम पड़ जाता है। उस वक्त मन में बस एक ही ख्याल आता है कि काश दिन कुछ और लंबा होता। काश दिन में 24 के बजाए 25 घंटे होते। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो बता दें कि आपकी ये ख्वाहिश भी पूरी होने वाली है। दिन लंबा होते जा रहा है। कुछ सालों बाद दिन 24 के बजाए 25 घंटे होने वाले हैं। ये कोई मजाक नहीं , शोधकर्ताओं ने अध्ययन के बाद कहा है। इसके पीछे खगोलीय घटनाएं शामिल है, जिसकी वजह से आने वाले कुछ सालों में दिन में 24 घंटे के बजाए 25 घंटे होंगे।

क्यों होगा एक दिन 25 घंटे का?

टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख (TUM) के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि पृथ्वी पर एक दिन 25 घंटे तक का हो सकता है। हम मानते हैं पृथ्वी पर एक दिन सटीक 24 घंटे का होता है। लेकिन विभिन्न ठोस और तरल पदार्थों का मिश्रण ग्रह की घूर्णन गति को प्रभावित करता है और प्रोजेक्ट लीड उलरिच श्रेइबर ने कहा, 'रोटेशन में उतार-चढ़ाव न केवल खगोल विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है, डेटा जितना सटीक होगा, भविष्यवाणी भी उतनी सटीक होगी।' TUM के पास एक रिंग लेजर नाम का उपकरण है यह जो पृथ्वी के घूर्णन को उल्लेखनीय सटीकता के साथ मापने में सक्षम है। पृथ्वी के घूर्णन में हर दिन दिन होने वाले छोटे बदलाव को भी यह पकड़ सकता है।

विभिन्न ठोस और तरल पदार्थों का मिश्रण ग्रह की घूर्णन गति को प्रभावित करता है(wikimedia commons)

कैसे सुनिश्चित करते है समय?

लेजर रिंग जाइरोस्कोप जो जमीन से 20 फीट नीचे एक दबाव वाले कक्ष में है। इसके जरिए यह वैज्ञानिक सुनिश्चित करते हैं कि लेजर पूरी तरह से सिर्फ पृथ्वी के घूर्णन से प्रभावित हो। लेजर और दर्पण के इस्तेमाल से यह उपकरण घूर्णी अंतर को पकड़ लेता है।

डायनासोर के समय एक दिन 23 घंटे का होता था। 1.4 अरब साल पहले एक दिन 18 घंटे 41 मिनट का होता था। (wikimedia commons)

कब होगा ऐसा?

सटीक उत्तर दे पाना बेहद मुश्किल है। पिछले चार वर्षों में जियोडेसिस्ट्स ने इन प्रभावों को ध्यान में रखते हुए लेजर दोलनों के लिए सैद्धांतिक मॉल विकसित किया है। इसके सहायता से यह काफी सटीकता से प्रति दिन का समय नाप सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि डायनासोर के समय एक दिन 23 घंटे का होता था। 1.4 अरब साल पहले एक दिन 18 घंटे 41 मिनट का होता था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग 20 करोड़ साल बाद एक दिन घंटे का हो जाएगा।

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