अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाते है बाबा साहेब (Wikimedia)  Dr Bhimrao Ambedkar Death Anniversary
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Dr Bhimrao Ambedkar Death Anniversary: अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाते है बाबा साहेब

अर्थशास्त्र की विषय में औपचारिक उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले शुरुआती भारतीय में से एक बाबासाहेब (Baba Saheb) भी थे।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

आज डॉक्टर. बी आर अंबेडकर (B.R. Ambedkar) का महापरिनिर्वाण दिवस है। आपने से अधिकतर लोग बाबासाहेब को भारत के संविधान के पिता के रूप में जानते होंगे। लेकिन उनका एक पहलू ऐसा भी है जिसका जिक्र आमतौर पर बहुत कम किया जाता है वह यह है कि वह एक अर्थशास्त्री भी थे।

अर्थशास्त्र की विषय में औपचारिक उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले शुरुआती भारतीय में से एक बाबासाहेब (Baba Saheb) भी थे। कोलंबिया विश्वविद्यालय से 1917 में अर्थशास्त्र (Economics) में पीएचडी करने के पश्चात 1921 में उन्हें लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (London School of Economics) ने अर्थशास्त्र में डीएससी के करने के लिए सम्मानित किया।

1915 में एमए (M.A) की डिग्री लेने के लिए उन्होंने 42 पेज का एक डेजर्टेशन कोलंबिया यूनिवर्सिटी में सबमिट किया था। यह पेपर एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ द ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से लिखा गया। इसमें बताया गया कि ईस्ट इंडिया कंपनी के आर्थिक तौर तरीके किस प्रकार आम भारतीय नागरिकों के हितों के खिलाफ हैं।

आर्थिक मुद्दों पर उनकी समझ

बाबा साहेब द्वारा लिखी गई पुस्तक द प्रॉब्लम ऑफ रुपी: इट्स ओरिजन एंड सॉल्यूशन (The Problem of Rupee: It's Origin And Solution) उनकी मौद्रिक प्रणाली की समझ को स्पष्ट करती है। यह पुस्तक उन्होंने डीएससी शोध प्रबंध के हिस्से के रूप में लिखी थी और इस पुस्तक में उस समय भारतीय मुद्रा की समस्या का विश्लेषण किया गया है इस पुस्तक के माध्यम से बाबासाहेब ने कीमतों में स्थिरता और विनिमय दर पर तर्क दिए।

बाबासाहेब

बाबासाहेब उन कुछ आर्थिक सिद्धांतकारों में से एक थे। जिन्होंने आर्थिक नीतियों और योजनाओं के प्रति दृष्टिकोण व्यवहारिक और लोक हितकारी रखा। इस प्रकार चाहे बाबासाहेब मौद्रिक सिद्धांतों पर लिख रहे हो या वित्तीय विषय पर उनका मूल लक्ष्य हमेशा ऐसे निष्कर्ष तक पहुंचना रहा है जो व्यवहारिक और लोक हितकारी हो।

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