शास्त्री जी ने थप्पड़ के बदले चपरासी को लगा लिया था गले
शास्त्री जी ने थप्पड़ के बदले चपरासी को लगा लिया था गले wikimedia
विशेष दिन

जब शास्त्री जी ने थप्पड़ के बदले चपरासी को लगा लिया था गले

न्यूज़ग्राम डेस्क, Himanshi Saraswat

देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं और देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की 115वीं जयंती मना रहा है। शास्त्री एक सीधी, सरल, सच्ची और निर्मल छवि वाले इंसान थे। उनकी ईमानदारी और खुद्दारी की मिसाल तो लोग आज भी देते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से -

- बनारस के हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान शास्त्री जी ने साइंस प्रैक्टिकल में इस्तेमाल होने वाले बीकर को तोड़ दिया था। स्कूल के चपरासी देवीलाल ने उन्हें देख लिया और उन्‍हें जोरदार थप्पड़ मार दिया था। रेल मंत्री बनने के बाद 1954 में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए शास्त्री जी जब मंच पर थे, तो देवीलाल उनको देखते ही हट गए तब शास्त्री ने भी उन्हें पहचान लिया और देवीलाल को मंच पर बुलाकर उन्हें गले लगा लिया।

- शास्‍त्री जी का स्‍कूल गंगा की दूसरी तरफ था। उनके पास गंगा नदी पार करने के लिए फेरी के पैसे नहीं होते थे, इसलिए वे दिन में दो बार अपनी किताबें सिर पर बांधकर तैरकर नदी पार करते और स्कूल जाते थे।

- शास्‍त्री जी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को अपना आदर्श मानते थे। खादी से उन्हें इतना लगाव था कि अपनी शादी में दहेज के तौर पर उन्‍होंने खादी के कपड़े और चरखा लिया था।

- लाल बहादुर शास्‍त्री प्रधानमंत्री बनने से पहले विदेश मंत्री, गृह मंत्री और रेल मंत्री भी रहे थे। एक बार वे रेल की एसी बोगी में सफर कर रहे थे तब यात्रियों की समस्या जानने के लिए जनरल बोगी में चले गए। वहां यात्रियों की दिक्कतों को देख उन्‍होंने जनरल बोगी में सफर करने वाले यात्रियों के लिए पंखा लगवाया साथ ही पैंट्री की सुविधा भी शुरू करवाई।

- शास्त्री जी फटे कपड़ों से बाद में रुमाल बनवाते थे और साथ ही फटे कुर्तों को कोट के नीचे पहना करता थे। शास्त्री जी का कहना था कि देश में बहुत ऐसे लोग हैं, जो इस तरह से अपना गुजारा करते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री

- शास्त्री जी के बेटे ने एक आम इंसान के बेटे की तरह रोजगार के लिए खुद को रजिस्‍टर करवाया था। एक बार जब उनके बेटे को गलत तरह से प्रमोशन दे दिया गया तो शास्‍त्री जी ने खुद प्रमोशन को रद्द करवा दिया था।

- युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने देशवासियों से अपील की थी कि अन्न संकट से उबरने के लिए सभी देशवासी सप्ताह में एक दिन का व्रत रखें। उनके निवेदन पर देशवासियों ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया था।

- शास्त्री जी स्वदेशी के समर्थक थे। जब तक वे देश के प्रधानमंत्री रहे उन्होंने विदेशी कंपनियों को देश में घुसने तक नहीं दिया था।

- 1965 में देश भुखमरी की समस्या से गुजर रहा था, तब उस समय शास्त्री जी ने सैलरी लेना बंद कर दिया था। इसी दौरान उन्होंने अपने घर पर काम करने आने वाली बाई को काम पर आने से मना कर दिया और खुद घर का काम करने लगे थे।

शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कई संकटों से उबारा। उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण ही विपक्षी पार्टियां भी उन्हें काफी आदर और सम्मान देती है। 11 जनवरी 1966 को हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी। हालांकि उनकी मौत के कारण पर आज भी संदेह बरकरार है।

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