दिल्ली के बदनाम इलाके जीबी रोड से एक अफगान लड़की को बचाए जाने की यह घटना न केवल मानव तस्करी की भयावहता को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि एक जागरूक नागरिक की संवेदनशीलता किसी की ज़िंदगी बदल सकती है। [सांकेतिक चित्र]  Canva AI
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धोखे, दर्द और हिम्मत : जीबी रोड (GB Road) से बचाई गई एक अफगान छात्रा की कहानी

दिल्ली (Delhi) के जीबी रोड (GB Road) पर बेची गई अफगान (Afghan) कि लड़की को एक साहसी महिला ने बचाया। प्रेमी ने धोखा देकर उसे तस्करों (Trafficking) को सौंप दिया था। चेहरा जला हुआ था, पासपोर्ट जब्त था। महिला ने उसे अपनी बेटी मानकर सुरक्षा दी और उसके परिजनों तक पहुँचाकर नई ज़िंदगी दिलाई।

न्यूज़ग्राम डेस्क

दिल्ली (Delhi) के बदनाम इलाके जीबी रोड (GB Road) से एक अफगान (Afghan) लड़की को बचाए जाने की यह घटना न केवल मानव तस्करी (Trafficking) की भयावहता को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि एक जागरूक नागरिक की संवेदनशीलता किसी की ज़िंदगी बदल सकती है। यह कहानी शुरू होती है एक महिला के उस सवाल से, जब उन्होंने एक लड़की से उसका नाम पूछा। लड़की को हिंदी नहीं आती थी, इसलिए वह मौन रही। तब महिला ने अंग्रेज़ी में लिखा "What's your name?" और जवाब में लड़की ने दो पन्नों पर अपनी आपबीती लिख दी। लड़की का नाम सफ़िया था। वह अफगानिस्तान से पढ़ाई के लिए दिल्ली आई थी और पीजी में रहती थी। उसका एक प्रेमी था, जो मुस्लिम था। उस युवक ने उसे कोर्ट मैरिज का झांसा देकर कहा कि शादी के बाद उसके पिता कुछ नहीं कर पाएंगे। प्रेम में अंधी होकर सफ़िया उस लड़के के बातों में आ गयी। लेकिन इस प्रेमी ने उसे धोखा दिया और किसी दलाल के ज़रिए उसे जीबी रोड पर बेच दिया। लड़की का पासपोर्ट और वीजा उससे छीन लिया गया।

महिला को जब यह सब ज्ञात हुआ तो उन्होंने बिना डरे उस दलाल महिला को ज़ोरदार तमाचा जड़ा और सख़्ती से पासपोर्ट व वीजा वापस मांगा। जब वह टालमटोल करने लगी, तो महिला ने धमकी दी कि अगर पासपोर्ट नहीं दिए गए तो पुलिस कार्रवाई होगी। डर के मारे उस महिला ने सफ़िया का पासपोर्ट और बचे हुए दस्तावेज़ भी लौटा दिए। इसके बाद महिला सफ़िया को लेकर उसके कॉलेज पहुंचीं, जहां पता चला कि वह छात्रा पिछले 5-6 महीनों से कॉलेज नहीं आई थी। कॉलेज प्रशासन ने बेहद लापरवाही से कहा कि आजकल के बच्चे क्या कर रहे हैं, इसकी परवाह करना उनका काम नहीं। कॉलेज का रवैया चौंकाने वाला था, लेकिन महिला ने हिम्मत नहीं हारी।

एक महिला की करुणा और साहस ने एक ज़िंदगी को नई राह दी। [सांकेतिक चित्र]

जब महिला ने कॉलेज वालों से उसके परिजनों से संपर्क करने को कहा, तो उसके परिजनों ने 15 दिनों की मोहलत मांगी, उसके बाद परिजनों को बुलाने की योजना बनी। कॉलेज वालों ने कहा कि सफ़िया का हॉस्टल कमरा अब भी सुरक्षित है और वह यहीं रह सकती है। महिला ने सफ़िया से कहा कि वह अब नकाब हटा दे। लेकिन लड़की मना करती रही। अंत में जब महिला ने जबरन (Forced) उसका नकाब हटवाया तो उसकी आंखें भर आईं, लड़की का चेहरा जला हुआ था। कॉलेज की प्रिंसिपल और टीचर्स ने बताया कि पहले वह बेहद सुंदर थी।

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यह जानकर महिला और भी विचलित हो गईं। सफ़िया ने बताया कि उसके प्रेमी ने किसी गर्म चीज़ से उसके गाल पर हमला किया था, जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जल गया। वह न केवल प्रेम में ठगी गई थी, बल्कि शारीरिक और मानसिक हिंसा की शिकार भी हुई थी। महिला ने उसे गले से लगाते हुए कहा,"बेशक तुम किसी और देश की हो, लेकिन अब से तुम मेरी बेटी हो। हमेशा मेरे से जुड़े रहना।" और फिर जब उसके माता-पिता 15 दिन बाद दिल्ली पहुंचे, तो बेटी को वापस अपने साथ ले गए।

दिल्ली के जीबी रोड पर बेची गई अफगान कि लड़की को एक साहसी महिला ने बचाया। [सांकेतिक चित्र]

यह घटना एक समाज के लिए आइना है, जहां प्रेम के नाम पर विश्वासघात, कॉलेज की लापरवाही, और मानव तस्करी (Trafficking) की कड़वी सच्चाई मौजूद है, वहीं एक महिला की करुणा और साहस ने एक ज़िंदगी को नई राह दी। [Rh/PS]

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