न्यूज़ग्राम हिंदी: देश में ज्ञानवापी का मामला गरमाया हुआ है। इसी बीच वाराणसी के ज्ञानवापी ( Gyanvapi Mosque Case ) मामले पर निर्णय सुनाने वाले न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने अपने परिवार की सुरक्षा हेतु चिंतित व्यक्त की है। न्यायाधीश दिवाकर ने ज्ञानवापी मस्जिद पर आदेश देते हुए कहा कि देश में इस मामले को विशेष मामला बताकर भय का माहौल बनाया जा रहा है। उन्होंने इस दौरान कहा, 'इस दीवानी मामले को असाधारण मामला बनाकर भय का माहौल पैदा कर दिया गया है। डर इतना है कि मेरा परिवार मेरी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता है और मैं उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता हूं। मैं जब भी घर से बाहर रहता हूं, तो मेरी पत्नी को मेरी सुरक्षा की चिंता रहती है।'
न्यायाधीश दिवाकर ने आगे कहा कि 'कल मेरी अपनी मां से जब बातचीत हुई तो वे भी मेरी सुरक्षा को लेकर चिंतित थी। मीडिया से मिली खबरों से उन्हें पता चला कि शायद मैं भी कमिश्नर के रूप में मौके पर जा रहा हूं, तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे मौके पर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे मुझे सुरक्षा संबंधी खतरा हो सकता है।'
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कराने के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को हटाने वाली याचिका को वाराणसी की अदालत ने खारिज कर दिया। जिससे यह स्पष्ट किया गया कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का काम अदालत के आदेश के अनुसार ही किया जाएगा। इसके साथ ही संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी करके 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी कोर्ट ने अधिकारियों को दिए हैं।
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साल 2021 को शुरू हुए इस विवाद में हिन्दू पक्ष का कहना है कि मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह सभी प्रतिमाएं काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ( Kashi Vishwanath corridor ) से सटी हुई हैं। यही कारण है कि वादी पक्ष ने कोर्ट से की मांग है कि मस्जिद की कमिटी इन मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने का काम न करे।इसके हिन्दू पक्ष ने यह भी मांग की है कि हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को दर्शन और पूजा-पाठ की इजाजत इजाजत दी जाए। इसी याचिका पर कोर्ट द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए गए हैं जिनको मस्जिद परिसर की कथित वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया है।