शुभांशु शुक्ला की बात हो रही है जिन्होंने 28 घंटे के लंबे सफर के बाद ISS यानी अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में एंट्री मारी है। [Wikimedia Commons] 
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भारतीय वायु सेना के कैप्टन को कैसे मिली अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में एंट्री? बने भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री!

आज सोशल मीडिया हो या फिर डिजिटल मीडिया और अख़बार हर जगह शुभांशु शुक्ला की बात हो रही है जिन्होंने 28 घंटे के लंबे सफर के बाद ISS यानी अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में एंट्री मारी है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

इस बात में कोई शंका नहीं है, की भारत का इतिहास बड़ा ही गौरवपूर्ण रहा है, चाहें वह पॉलिटिक्स के क्षेत्र में हो या फिर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत ने हमेशा कुछ अलग कर पूरी दुनियां में नाम कमाया है। अब भारतीय वायुसेना के कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Subhanshu Shukla) को ही ले लीजिए, आज सोशल मीडिया हो या फिर डिजिटल मीडिया और अख़बार हर जगह शुभांशु शुक्ला (Subhanshu Shukla) की बात हो रही है जिन्होंने 28 घंटे के लंबे सफर के बाद ISS यानी अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station) में एंट्री मारी है। लेकिन सवाल ये उठता है कि शुभांशु शुक्ला है कौन? और भारत से केवल शुभांशु शुक्ला को ही स्पेस मिशन में क्यों भेजा गया? आइए जानतें है।

कौन है शुभांशु शुक्ला?

10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्में शुभांशु शुक्ला (Subhanshu Shukla) भारतीय वायु सेना ( Indian Air Force) के ग्रुप कैप्टेन, IAF के एक प्रशिक्षित पायलट और ISRO के अंतरिक्ष यात्री हैं। भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के दौरान 4 यात्रियों को एक्सियोम मिशन 4 (Axiom Mission 4) के द्वारा अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन भेजा गया जिनमें से शुभांशु भी एक है। आपको बता दें कि शुभांशु, 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष कक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय यात्री बन गए है। शुभांशु शुक्ला के पास 2000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है।

शुभांशु शुक्ला का करियर

शुभांशु शुक्ला 2006 में भारतीय वायुसेना ( Indian Air Force) में शामिल हुए और एक परीक्षण पायलट बन गए, उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21 और जगुआर जैसे विभिन्न विमानों को उड़ाने में महारत हासिल की। 2019 में, उन्हें अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए चुना गया। शुभांशु शुक्ला गगनयन के हिस्सा है, गगनयान के अलावा, शुक्ला को 2024 में एक्सिओम मिशन 4 (एक्स-4) को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक ले जाने के लिए चुना गया था। इससे वह ISS पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए, जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक बड़ी उपलब्धि होगी। हालांकि, स्पेसएक्स के फाल्कन 9 में कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण, मिशन को 10 जून, 2025 से किसी अन्य तिथि तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। फिलहाल यह मिशन जारी है और चारों यात्री अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहुंच चुके है जो अगले 14 दिनों तक वहीं रहने वाले है। अब यहां सवाल यह है कि आखिर ये अंतरिक्ष यात्री आने वाले 14 दिनों तक क्या करने वाले है ?

शुभांशु शुक्ला 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए [Wikimedia Commons]

14 दिनों तक क्या करेंगे अंतरिक्ष यात्री?

अब इतने बड़े मिशन के लिए चार लोगों को चुना गया है तो जाहिर सी बात है कि कुछ खास एक्सपेरिमेंट तो जरूर होंगे। मिशन क्रू के चारों सदस्य इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर लगभग 14 दिन रहेंगे और इस दौरान वो 60 एक्सपेरिमेंट भी करेंगे। यह आज तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर Axiom स्पेस मिशन पर आयोजित सबसे अधिक शोध और विज्ञान से संबंधित गतिविधियां होंगी। यह लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में माइक्रोग्रैविटी रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए मिशन के वैश्विक महत्व और सहयोगात्मक प्रकृति को रेखांकित करती हैं।

  • छह प्रकार के बीजों को अंतरिक्ष में ले जाया गया है ताकि उनके विकास का अध्ययन किया जा सके।

  • माइक्रोग्राविटी में बॉडी को क्या नुकसान होगा इसपर भी रिसर्च किया जाएगा।

  • स्पेस में सायनोबैक्टीरिया का अध्ययन किया जाएगा।

इस मिशन के तहत और भी कई टॉपिक है जिन पर यह चार अंतरिक्ष यात्री आने वाले 14 दिनों में रिसर्च करने वाले हैं। हालांकि यह कहा जा सकता है कि 14 दिनों के बाद हमें अंतरिक्ष में होने वाले इन रिसर्च और एक्सपेरिमेंट के बाद कई सारे राज़ से पर्दा उठेगा।

शुभांशु शुक्ला को कैसे मिली अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में एंट्री?

शुभांशु शुक्ला 2026 के लिए निर्धारित भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के लिए नामित अंतरिक्ष यात्री भी हैं [Wikimedia Commons]

2019 में, शुक्ला को भारत के गगनयान मिशन (Gaganyan Mission) के लिए अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में चुना गया था। उन्होंने रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कठोर प्रशिक्षण लिया। इस ट्रेनिंग के बाद ही शुभांशु शुक्ला का इसरो में प्रशिक्षण और उनकी काबिलियत के कारण इस मशीन के लिए चुना गया था। हालांकि यह मिशन 2024 में ही होने वाला था लेकिन कुछ तकनीकी गड़बड़ी के कारण इसे टालकर 2025 कर दिया गया। आपको बता दें कि शुभांशु शुक्ला 2026 के लिए निर्धारित भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के लिए नामित अंतरिक्ष यात्री भी हैं, इनके साथ ही साथ ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप भी गगनयन मिशन में शामिल हैं।

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