Lok Sabha Elections :हर पोलिंग बूथ पर प्रिसाइडिंग अफसर को एक फॉर्म दिया जाता है, जिसे उसे आनलाइन ही भरना होता है। (Wikimedia Commons) 
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क्या है फॉर्म 17सी ? वोटों के प्रतिशत के आंकड़ों में हुआ गड़बड़ी

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देर से वोटिंग के डेटा क्यों जारी हो रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Lok Sabha Elections : सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित अंतिम वोटिंग डेटा जारी करने से जुड़ी सुनवाई शुरू कर दी है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देर से वोटिंग के डेटा क्यों जारी हो रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। दरअसल, यह विवाद इसलिए शुरू हुआ क्योंकि मतदान के बाद चुनाव आयोग ने जो आंकड़ें प्रकाशित किए थे वो बाद में प्रकाशित अंतिम मतदाता प्रतिशत से काफी अलग हैं।

क्या है फॉर्म 17सी ?

हर पोलिंग बूथ पर प्रिसाइडिंग अफसर को एक फॉर्म दिया जाता है, जिसे उसे आनलाइन ही भरना होता है। ये काम वोटिंग की प्रक्रिया खत्म होने के तुरंत बाद ही करना होता है। इस फॉर्म में साफ - साफ लिखा होता है कि कितने लोगों ने वोटिंग की, कितने वोट करने नहीं आए और कितने लोगों को वोट देने के काबिल नहीं समझा गया। ये भी भरना होता है कि वोटिंग के दौरान कितनी ईवीएम का इस्तेमाल किया गया तथा कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट की संख्या और नंबर भी देने होते हैं। इस फॉर्म द्वारा पोलिंग सेंटर पर वोट गतिविधि की हर बात आ जाती है, जिसके बाद इस बात की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती कि वोटों के प्रतिशत के आंकड़ों में कोई गड़बड़ी हो पाए।

क्यों जरूरी है ये फॉर्म

1961 के नियमों के अनुसार, चुनाव आयोग को दो फॉर्म बनाकर रखने होते हैं, इन्हें वोटिंग खत्म होते ही भरना होता है, जिसमें मतदाताओं की संख्या और डाले गए वोटों का डेटा होता है – फॉर्म 17ए और 17सी। यदि आप वोट डालने गए हों तो रजिस्टर में वोट देने के पहले आपका ब्योरा भी लगातार दर्ज होता रहता है। नियम 49एस(2) के तहत, अधिकारी को मतदान समाप्त होने पर उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों को फॉर्म 17सी में भरे फॉर्म की कॉपी देनी होती है।

इस फॉर्म द्वारा पोलिंग सेंटर पर वोट गतिविधि की हर बात आ जाती है (Wikimedia Commons)

फॉर्म 17सी में डेटा का उपयोग उम्मीदवारों द्वारा ईवीएम गणना के साथ मिलान करके मतगणना के दिन परिणामों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है। इसके बाद किसी भी विसंगति के मामले सामने आए तो उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका भी दायर की जा सकती है।

क्यों प्रत्येक बूथ से फॉर्म 17सी लेना है मुश्किल

एक निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 2,000-2,200 बूथ होते हैं। इतने बूथ पर एक उम्मीदवार के एजेंट होने संभव नहीं है। फॉर्म 17C की एक प्रति प्राप्त करने में सक्षम होने के लिए एक उम्मीदवार को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 6,000 पोलिंग एजेंट रखने की जरूरत होती है। छोटे दलों और कई निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए सभी बूथों पर पोलिंग एजेंट रखना असंभव है।

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