Buddha Purnima : पूरे साल में सिर्फ एक बार ही अस्थि कलश का दर्शन होगा (Wikimedia Commons) 
धर्म

साल में केवल एक बार होता है भगवान बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

इस दिन गंगा तट पर एक ओर सुबह जहां श्रद्धालुओं की भीड़ होगी तो वहीं दूसरी तरफ महात्मा बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में भी 23 मई को कई आयोजन किए जाएंगे, जिसकी जमकर तैयारियां हो रही है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Buddha Purnima : काशी नगरी में वैशाख पूर्णिमा को लिए धर्म जोरों शोरों से तैयारियां चल रही है। इस दिन गंगा तट पर एक ओर सुबह जहां श्रद्धालुओं की भीड़ होगी तो वहीं दूसरी तरफ महात्मा बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में भी 23 मई को कई आयोजन किए जाएंगे, जिसकी जमकर तैयारियां हो रही है। आपको बता दें कि इस दिन दुनियाभर के बौद्ध अनुयायियों को सारनाथ में बुद्ध के अस्थि कलश के भी दर्शन होंगे।

महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव भिक्षु सम्मितानंद थेरो ने बताया कि भक्त बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह 6 बजे से 11 बजे तक महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन कर सकेंगे। पूरे साल में सिर्फ एक बार ही अस्थि कलश का दर्शन होगा। इसके अलावा इस दिन धार्मिक यात्रा भी निकलेगी जो सारनाथ के कई इलाकों से होकर गुजरेगी।

बुद्ध पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचाग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 22 मई को शाम 5 बजकर 50 मिनट से शुरू होगा जो अगले दिन यानी 23 मई को शाम 6 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। उदयातिथि के होने के कारण बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी और उस दिन ही सुबह स्नान और दान का क्रम भी चलेगा।

गंगा तट पर गंगा स्नान के भीड़ के लिए व्यवस्था की जा रही है। (Wikimedia Commons)

पुलिस भी अलर्ट पर

इस दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में भी संगीत संध्या का आयोजन होगा। इसके साथ ही साथ गंगा तट पर गंगा स्नान के भीड़ के लिए व्यवस्था की जा रही है। गंगा में बैरिकेडिंग भी लगाई जा रही है जिससे भक्त गहरे पानी में प्रवेश कर स्नान न करें। इसके अलावा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एनडीआरफ और जल पुलिस को भी तैनात किया गया है।

इस दिन करना चाहिए दान

हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों में बुद्ध पूर्णिमा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान करना बहुत ही शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी जी की भी विधिवत पूजा की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध के जीवन का स्मरण किया जाता है। बौद्ध पूर्णिमा नेपाल और वहां के आसपास के इलाके में खासतौर पर मनाया जाता है।

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