Ganesh chaturthi 2023: गणपति बप्पा मोरया। आप सभी को गणेश चतुर्थी की ढेर सारी शुभकामनाएं। जैसा कि आप सबको पता है कि आज गणेश चतुर्थी है और पूरे भारतवर्ष में खासकर मुंबई पुणे में गणेश चतुर्थी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। हर साल गणपति बप्पा की एक से एक खास मूर्ति महाराष्ट्र में देखने को मिलते हैं जो लोगों को चौंका देती है। इस साल में गणपति बप्पा की एक बड़ी ही अनोखी और महंगी मूर्ति देखने को मिली। इस मूर्ति की कीमत 360.45 करोड़ है। तो चलिए आपको विस्तार से बताते हैं।
वैसे तो गणपति बप्पा के आप और उनकी श्रद्धा में पैसों का कोई मोल नहीं है लेकिन फिर भी कुछ चीज ऐसी होती हैं कि वह आकर्षित करती हैं जैसे की मुंबई की जीएसबी सेवा मंडल ने भगवान गणेश की 69 किलो सोने और 336 किलो चांदी से उनकी मूर्ति बनवाई हैं। मंडन के प्रतिनिधि ने ये भी बताया की भगवान की मूर्ति का 360.45 करोड़ का बीमा भी करवाया गया है। गणपति बप्पा की मूर्ति का वीडियो काफी वायरल हो रहा है और लोगों ने इसे खूब पसंद भी किया।
गणेश चतुर्थी पूरे भारतवर्ष में भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाई जाती है लेकिन महाराष्ट्र के लोगों में गणेश चतुर्थी को लेकर एक अलग उत्साह देखने को मिलता है।गणेश चतुर्थी का त्यौहार महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे महाराष्ट्र के लोग अपने रीति-रिवाजों के साथ बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
सनातन संस्कृति के लोग किसी भी देवी देवता की पूजा करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं। भगवान श्री गणेश को विनायक, गजानन, एकदंत और विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है।गणेश उत्सव के दौरान चतुर्थी के दिन महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में लोग अपने घरों में तथा कई सार्वजनिक स्थलों पर भगवान श्री गणेश के मूर्ति की स्थापना करते हैं और लगातार 10 दिनों तक अपने रीति-रिवाजों के साथ विधिवत उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना के ठीक दसवें दिन अनंत चतुर्दशी तिथि को गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है।
भगवान श्री गणेश को देवताओं में सबसे बुद्धिमान माना जाता है इसके साथ ही वह सिद्धि के स्वामी जी हैं जिन की कृपा से हर परिवार में सुख और समृद्धि आती है और लोगों की बुद्धि का विकास भी होता है।भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता कह कर भी बुलाया जाता है क्योंकि उनकी कृपा से परिवार पर आने वाले सारे विघ्न और संकट दूर हो जाते हैं। बिन गणेश जी के किसी भी घर में लक्ष्मी का प्रवेश नहीं होता लक्ष्मी और गणेश दोनों साथ साथ घर में प्रवेश करते हैं और परिवार को सुख तथा समृद्धि प्रदान करते हैं।इसलिए भगवान श्री गणेश की जन्मतिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी के समय से ही गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा चली आ रही है जिसे गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है।