न्यूज़ग्राम हिंदी: हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। साल भर में कुल मिलाकर बारह चतुर्थी मनाई जाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय चतुर्थी कहते हैं। इस बार फागुन महीने की संकष्टी चतुर्थी 9 फरवरी को मनाई जाएगी।
इस दिन भगवान गणेश के छठे रूप द्विजप्रिय की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि व्यक्ति विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करता है तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। साथ ही विग्नहर्ता उसके सारे विघ्न हर लेते हैं। आइए जानते हैं इस दिन पूजा करने की विधि।
Sankashti Chaturthi 2023: जानिए कब और कैसे मनाए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
इस बार कृष्ण संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर होगी और यह अगले दिन 7 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। चंद्रोदय का समय है 9 बजकर 25 मिनट। इस दिन को फलदायी बनाने के लिए सुबह उठकर स्नान करें। घर के ईशान कोण में चौकी पर साफ़ लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें।
भगवान के सामने हाथ जोड़े और व्रत का संकल्प करते हुए उन्हें अक्षत, जल , दुर्वा घास और मिठाई चढ़ाएं। 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते हुए घी का दिया जलाएं। गणेश चालीसा का पाठ करें। संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत चंद्रोदय के बाद ही खोला जाता है। मुहूर्त के समय भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें और चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देकर पूजा की समाप्ति करें।
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