भगवान शिव की उत्पत्ति Wikimedia
धर्म

ऐसे हुई भगवान शिव की उत्पत्ति

विष्णु पुराण (Vishnupuran) में कहा गया है कि ब्रह्मा (Brahma) भगवान विष्णु (Vishnu) की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि भगवान विष्णु के माथे के तेज से शिव उत्पन्न हुए।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

आज हम आपको भगवान शिव के बारे में बहुत सी बातें बताएंगे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) का जन्म नहीं हुआ बल्कि वे स्वयंभू है। वहीं दूसरी और पुराणों की माने तो उनमें भगवान शिव की उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण (Vishnupuran) में कहा गया है कि ब्रह्मा (Brahma) भगवान विष्णु (Vishnu) की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि भगवान विष्णु के माथे के तेज से शिव उत्पन्न हुए। विष्णु पुराण में यह भी कहा गया है कि शिव माथे के तेज से उत्पन्न हुए यही कारण है कि वह हमेशा योग मुद्रा में रहते हैं।

वही श्रीमद् भागवतगीता की माने तो उसमें लिखा है किएक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार वश स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तभी एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए।

भगवान शिव का एकमात्र बाल रूप का वर्णन विष्णु पुराण में वर्णित शिव जन्म की कहानी है इसमें कहा गया है कि ब्रह्मा जी को एक बच्चे की आवश्यकता थी। उसी के लिए उन्होंने तपस्या की और उनकी गोद में एक रोता हुआ बालक यानी शिव प्रकट हुए। जब ब्रह्मा ने बच्चे से उनके रोने का कारण पूछा तो उन्होंने मासूमियत में कहा कि वह इसलिए रो रहे हैं क्योंकि उनका कोई नाम नहीं है।

तब ब्रह्मा ने उनका नाम रूद्र (Rudra) रखा जिसका अर्थ रोने वाला है। किंतु शिव ने रोना बंद नहीं किया और ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया वह भी शिव को पसंद नहीं आया इसी प्रकार शिव को 8 नाम (रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति ईशान और महादेव) पसंद नहीं आए।

भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में जन्म लेने की शिव की यह कहानी विष्णु पुराण में वर्णित है।

भगवान शिव

इसकी एक पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार जब आकाश, धरती, पाताल समेत पूरा ब्रह्मांड जलमग्न था और ब्रह्मा, विष्णु, महेश के अलावा कोई देव या प्राणी नहीं था। उस वक्त केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे हुए नजर आते थे। उसी वक्त उनकी नाभि के कमल से ब्रह्मा जी प्रकट हुए और जब ब्रह्मा विष्णु सृष्टि की बातें कर रहे थे, तब शिव प्रकट हुए लेकिन ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। कही शिव रूठ न जाए इस डर से भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को अपनी दिव्य दृष्टि देकर शिव की याद दिलाई थी। जब ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने शिव से क्षमा मांगी और अपने पुत्र में के रूप में पैदा होने का आशीर्वाद भी। शिवजी ने ब्रह्मा की यह प्रार्थना स्वीकार की। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की तो उन्हें एक बच्चे की आवश्यकता पड़ी तब शिव को अपना आशीर्वाद याद आया और वह ब्रह्मा की गोद में एक बालक के रूप में प्रकट हुए।

(PT)

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