सांकेतिक चित्र (Wikimedia Common)
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Culture

Sanskrit Universities में पैरामेडिकल और आयुर्वेद आधारित चिकित्सा जैसे पाठ्यक्रम

NewsGram Desk

न्यूज़ग्राम हिंदी: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वैदिक बोर्ड को मान्यता देने की तैयारी तो की ही जा रही है, इसके साथ ही केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों ( Sanskrit Universities ) में भी नई शिक्षा नीति के अंतर्गत महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहे हैं। दिल्ली के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय एवं लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में जल्द ही पैरामेडिकल, वास्तुशास्त्र और आयुर्वेद आधारित चिकित्सा जैसे कई पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी है। नई शिक्षा नीति के तहत यह प्रोफेशनल कोर्स शुरू करने की तैयारी की जा रही है। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ( Sanskrit Universities ) के कुलपति प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक के मुताबिक फिलहाल प्रोफेशनल कोर्सेस का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।

सिखाया जाएगा योग और संगीत

इसके तहत यहां संस्कृत के अलावा, योग, संगीत, आयुष आदि के तहत पढ़ाई की जाएगी। जुलाई से नेचुरोपैथी में पीजी डिप्लोमा शुरू करने की भी योजना है। इसकी सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। भविष्य में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विदेशी विश्वविद्याल के साथ अनुबंध भी करेंगे जिससे यहां और अधिक प्रोफेशनल कोर्स शुरू करने की संभावना बढ़ जाएगी।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ( Sanskrit Universities ) आयुर्वेद संकाय खोलने के लिए दिल्ली एनसीआर में 200 एकड़ जमीन की मांग भी सरकार के समक्ष रखी य है। यहां पर बीएएमएस और आयुवेर्दाचार्य की कंबाइंड डिग्री दी जाएगी।

वहीं वैदिक शिक्षा को लेकर भी जल्द ही एक नई और बड़ी पहल की जा सकती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय वेद आधारित शिक्षा बोर्ड को मान्यता देने जा रहा है। वेद आधारित शिक्षा का यह बोर्ड किसी भी अन्य सामान्य शिक्षा बोर्ड की तरह कार्य करेगा। इस प्रक्रिया में न केवल वेद के जानकार बल्कि संस्कृत, भाषा और गणित के विशेषज्ञ भी शामिल किए जाएंगे।

दरअसल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय छात्रों को वैदिक शिक्षा एवं वेद आधारित ज्ञान मुहैया कराने का पक्षधर है। हालांकि अभी तक वैदिक विद्या के लिए डिग्री की कोई व्यवस्था नहीं है। इसी के मद्देनजर भारत सरकार वेद प्रणाली को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने का निर्णय लेने जा रही है। इसके लिए एक बोर्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आधुनिक समाज में वेदों के पाठ की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए एक विशेष वैदिक शिक्षा बोर्ड अस्तित्व में आएगा।

वेद शिक्षा पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि वेदों के सस्वर पाठ की प्रासंगिकता को आधुनिक समाज में बनाए रखने के लिए एक खास वैदिक शिक्षा बोर्ड अस्तित्व में आएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि वैदिक परंपरा कालजयी है।(आईएएनएस-SHM)

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