महाकालेश्वर IANS
खोज और आविष्कार

युवाओं ने की उत्तराखंड की इस सबसे बड़ी और आश्चर्यजनक गुफा "महाकालेश्वर" की खोज

उत्तराखंड में मिली इस गुफा को लेकर ये दावा किया जा रहा है कि, ये मशहूर पाताल भुवनेश्वर (Patal Bhuvaneshwar)गुफा से भी विशाल है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

हमारे देश में कई प्राचीन रहस्य छिपे हुए हैं, जो आए दिन खोज के माध्यम से हमारे सामने आते हैं। इन रहस्यों के बारे में जानकर हैरानी तो होती है, साथ ही हमारे धर्म और संस्कृति के बारे में करीब से जानने का मौका भी मिलता हैं। ऐसे ही एक रहस्यमी गुफा की खोज उत्तराखंड (Uttarakhand) में हुई है। इसे अब तक की सबसे बड़ी गुफा बताया जा रहा है।

भारत के कोने-कोने में प्राचीनकाल की कई रहस्यमी चीजें छिपी हुई हैं, जो आए दिन खोजों के माध्यम से हमारे सामने आती हैं। ऐसी ही एक खोज ने इन दिनों लोगों को हैरान कर दिया है। दरअसल उत्तराखंड के गंगोलीहाट में एक बेहद विशाल गुफा (Cave) मिली है। इस गुफा को काफी पुराना भी बताया जा रहा है। यही नहीं इस गुफा के अंदर का नजारा और चौंकाने वाला है। इस गुफा के अंदर एक शिवलिंग (Shivling) है, जिस पर अब भी पानी की बूंदें टपक रही हैं। इस नजारे को जिसने देखा वो दंग रह गया। बताया जा रहा है कि, यह गुफा 8 तल की है और इसमें कई पौराणिक चित्र भी उभरे हुए मिले हैं।

पाताल भुवनेश्वर से बड़ी है गुफा

उत्तराखंड में मिली इस गुफा को लेकर ये दावा किया जा रहा है कि, ये मशहूर पाताल भुवनेश्वर (Patal Bhuvaneshwar)गुफा से भी विशाल है। यही नहीं इस गुफा के अंदर शिवलिंग भी मिला है और चौंकाने वाली बात यह है कि इस शिवलिंग पर चट्टानों से पानी भी गिर रहा है। गुफा की विशालता के साथ शिवलिंग पर गिर रहे पानी ने इस जगह को चर्चा में ला दिया है।

इसलिए है रहस्यमी गुफा

इसे रहस्यमी गुफा इसलिए कहा जा रहा है कि, क्योंकि इतनी पुरानी होने के बाद भी यहां शिवलिंग पर अपने आप चट्टानों के जरिए पानी टपक रहा है। इस मैकेनिज्म को फिलहाल कोई समझ नहीं पाया है।

युवाओं ने खोजी यह रहस्यमयी गुफा

शैल पर्वत क्षेत्र की गुफाओं वाली घाटी गंगोलीहाट में स्थित प्रसिद्ध सिद्धपीठ हाटकालिका मंदिर ( Haat Kalika Mandir) से करीब एक किमी दूर मिली इस गुफा को 4 युवाओं ने खोजा है।

गंगोलीहाट (Gangolihat) के गंगावली वंडर्स ग्रुप के सुरेंद्र सिंह बिष्ट, ऋषभ रावल, भूपेश पंत और पप्पू रावल जब इस गुफा में पहुंचे तो इसके विशालकाय आकार को देखकर दंग रह गए। वे गुफा के अंदर करीब 200 मीटर तक गए और प्राकृतिक रूप से बनी सीढ़ियों के जरिए गुफा के 8 तल (मंजिल) नीचे तक गए। बताया जा रहा है कि, इस गुफा में 9वां तल भी था लेकिन वे वहां नहीं पहुंच पाए।

पाताल भुवनेश्वर

गुफा में उभरे हैं शेषनाग के चित्र

इस गुफा को महाकालेश्वर (Mahakaleshwar) नाम दिया गया है। इस गुफा में भी चट्टानों पर पौराणिक आकृतियां उभरी हुई हैं। यहां शेषनाग समेत अनेक देवी-देवताओं के चित्र भी उभरे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि गुफा के अंदर बने शिवलिंग की आकृति पर चट्टान से पानी गिर रहा है।

9 मंजिल बड़ी इस गुफा में पर्याप्त ऑक्सीजन

इतनी लंबी गुफा होने के बाद भी यहां पर्याप्त ऑक्सीजन है, यह गुफा 150 मीटर गहरी पाताल भुवनेश्वर से भी बड़ी बताई जा रही हैं। ऐसे में भविष्य में इस गुफा को भी पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करके पर्यटकों का ध्यान खींचा जा सकता है।

आईएएनएस/PT

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