जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अंग्रेज़ों को कह दिया था गधा  Dr. Sarvepalli Radhakrishnan (Wikimedia Commons)
विशेष दिन

जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अंग्रेज़ों को कह दिया था गधा

डॉ. राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक, शिक्षाविद और लेखक थे, जिन्होंने अपना जन्मदिवस शिक्षकों के लिए समर्पित कर दिया।

Prashant Singh

आज पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है। आज के दिन ही, 5 सितंबर, 1888 को, भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था। वैसे तो वो कई वजहों से प्रसिद्ध हैं पर उनकी तर्कपूर्ण हाजिर-जवाबी का तो कोई जवाब ही नहीं था। इसी संबंध में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का एक मजेदार किस्सा काफी प्रचलित है, जब उन्होंने अंग्रेजों को उनके ही भाषा में उत्तर देते हुए उन्हें गधा कह दिया था।

एक बार वो भारतीय दर्शन पर अपना व्याख्यान देने के लिए इंग्लैंड गए। वहाँ एक बहुत बड़ी संख्या में श्रोता उनको सुनने आए, तभी उनमें से एक अंग्रेज़ ने राधाकृष्णन जी से कहा, 'क्या हिंदू नाम का कोई समाज है, या ये कोई संस्कृति है? तुम लोग कितने बिखरे हुए हो? तुम्हारा एक सा रंग नहीं है, तुम्हारे यहाँ कोई गोरा है तो कोई काला है, कोई धोती पहनता है तो कोई लुंगी पहनता है, कोई कुर्ता पहनता है तो कोई कमीज। देखो हम अंग्रेज एक जैसे हैं- एक ही रंग के और एक जैसा पहनावा पहनते हैं।

यह सुनकर राधाकृष्णन ने तत्काल यह कहा, 'घोड़े अलग-अलग रूप-रंग के होते हैं, पर गधे एक जैसे होते हैं। आप जानते ही हैं कि अलग-अलग रंग और विविधता विकास के लक्षण हैं। इस पर वहां उपस्थित सभी अचंभित रह गए।

इसके अलावा उनका एक और किस्सा भी काफी प्रचलित है। 1938 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन गांधीजी से मिलने सेवाग्राम पहुंचे। उस समय गांधीजी सभी देशवासियों को मूंगफली खाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। बापू लोगों को दूध पीने से मना किया करते थे, क्योंकि उनका मानना था कि दूध गाय के मांस का ही अतिरिक्त उत्पादन है, इसलिए हमें दूध का पान निषेध करना चाहिए। जब डॉ. राधाकृष्णन गांधी जी से मिलने पहुंचे तो गांधी जी ने उनसे भी ये बातें कहीं। लेकिन अपने तर्कपूर्ण जवाब के लिए प्रसिद्ध डॉ. राधाकृष्णन ने जवाब दिया- 'तब तो हमें मां का दूध भी नहीं पीना चाहिए।'

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