BBC द्वारा मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री को हटाया गया 

 

 मोदी  डॉक्यूमेंट्री (IANS)

राष्ट्रीय

BBC द्वारा मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री के ट्विटर और यूट्यूब वीडियो लिंक को हटाया गया

BBC द्वारा जारी डॉक्यूमेंट्री सीरीज को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधित इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज के ट्वीट और यूट्यूब लिंक वीडियो को ब्लॉक करने के आदेश दिए हैं

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूज़ग्राम हिंदी: ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) द्वारा जारी डॉक्यूमेंट्री सीरीज को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधित इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज के ट्वीट और यूट्यूब (Youtube) लिंक वीडियो को ब्लॉक करने के आदेश दिए हैं। ट्विटर और यूट्यूब से ये वीडियो और लिंक हटाए जा रहे हैं। बताया गया कि यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 से ज्यादा ट्वीट्स को ब्लॉक किया गया है।

इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीबीसी की सीरीज को झूठे नेरेटिव और प्रोपेगेंडा का हिस्सा मात्र बताया था। आपको बता दें कि बीबीसी ने ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक से दो पार्ट में एक नई डॉक्यूमेंट्री सीरीज बनाई है। ये सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों पर आधारित है तब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। गोधरा में हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक ट्रेन में आग लगने के बाद कथित तौर पर हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के कारण एक हजार से अधिक मौतें हुईं थी।

इसके साथ ही सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के दिग्गजों के एक समूह ने शनिवार को एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को 'ब्रिटिश साम्राज्य के पुनरुत्थान का भ्रम' बताया। पत्र में कहा गया है, "इस बार नहीं। हमारे नेता के साथ नहीं। भारत के साथ नहीं। हमारी निगरानी में कभी नहीं!"

मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री को हटाया गया 



आगे कहा गया है, "तो अब हमारे पास भारत में ब्रिटिश अतीत के साम्राज्यवाद का आदर्श है, जो खुद को न्यायाधीश और जूरी दोनों के रूप में स्थापित कर रहा है, हिंदू-मुस्लिम तनावों को फिर से जीवित करने के लिए, जो ब्रिटिश राज की फूट डालो और राज करो की नीति का निर्माण कर रहे थे। बीबीसी की सीरीज भ्रमपूर्ण और स्पष्ट रूप से एकतरफा रिपोर्टिग के आधार पर बनी है। हमने इसे अब तक जो देखा है, उसे देखते हुए यह एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व के 75 साल पुराने भवन की बुनियाद पर सवाल उठाता है, एक ऐसा राष्ट्र जो भारत के लोगों की इच्छा के अनुसार चलता है। सीरीज में स्पष्ट रूप से तथ्यात्मक त्रुटियों के अलावा, 'कथित रूप से' और 'कथित तौर पर' शब्दों का बार-बार उपयोग किया गया है (तथ्यात्मक रूप से नहीं) - इससे प्रेरित विकृति की बू आती है जो निराधार है, क्योंकि यह है नापाक।"

13 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, 133 सेवानिवृत्त नौकरशाहों और 156 सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के कर्मियों सहित कुल 302 प्रतिष्ठित नागरिकों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए।



हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व विदेश सचिव शशांक, पूर्व गृह सचिव एल.सी. गोयल, रॉ के पूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ओ.पी. सिंह सहित अन्य शामिल हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों की वर्षो की कड़ी जांच के बाद शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को बरकरार रखा था।


--आईएएनएस/VS

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