Saraswati Puja 2024 : मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन ही देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए यह शुभ दिन उन्हें समर्पित है। (Wikimedia Commons) 
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इस साल कब है ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सरस्वती पूजा हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचंमी तिथि को बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। सभी स्कूल, कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा-उपासना पूरे विधि-विधान से होती है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Saraswati Puja 2024 : ज्ञान की देवी सरस्वती मां का जल्द ही आगमन होने वाला है। हिंदू धर्म में वसंत पंचमी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन ही देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए यह शुभ दिन उन्हें समर्पित है। यह पर्व मुख्य रूप से ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। सरस्वती पूजा हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचंमी तिथि को बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। सभी स्कूल, कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा-उपासना पूरे विधि-विधान से होती है। आज हम आपको बताएंगे की इस साल कब है सरस्वती पूजा तथा कौन सा मुहूर्त शुभ है।

इस साल सरस्वती पूजा 14 फरवरी को मनाई जाएगी। दरअसल, इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 तारीख को शुरू हो जाएगी, जिसका समय दिन के दो बजकर 41 मिनट है। यह 14 फरवरी को लगभग 12 बजकर 10 मिनट के करीब समाप्त हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि 14 फरवरी होने के कारण इस साल वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा 14 तारीख को होगी।

सरस्वती पूजा हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचंमी तिथि को बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। (Wikimedia Commons)

शुभ मुहूर्त क्या है?

14 फरवरी के दिन सरस्वती पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप मां सरस्वती की पूजा-पाठ विधि अनुसार करेंगे तो आपको ज्ञान की प्राप्ति होगी।

कैसे करें मां सरस्वती की पूजा?

वसंत पंचमी के शुभ मौके पर पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। उस दिन सुबह उठकर स्नान करके पीला वस्त्र पहनें यदि इस रंग का कपड़ा नहीं है तो आप सफेद रंग का वस्त्र भी पहन सकते हैं। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। देवी सरस्वती को पीले रंग का वस्त्र पहनाए , उनके समक्ष सरस्वती पूजा करने का संकल्प लें। उन्हें पीले रंग का फूल अर्पित करें, माला पहनाएं इसके बाद अब अक्षत, पीले रंग की रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। धूप, दीप, अगरबत्ती जलाएं। भोग लगाएं और वंदना करे और अंत में हवन करें, इस दौरान ‘ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा” मंत्र का जाप करें और फिर आरती करें। आशीर्वाद ले और सरस्वती जी से प्रार्थना करें कि वो आपको ज्ञान, बुद्धि और विवेक प्रदान करें।

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