असम के छठे ज्योतिर्लिंग के दावे पर महाराष्ट्र में मचा बवाल (IANS)

 

छठे ज्योतिर्लिंग के दावे पर महाराष्ट्र में मचा बवाल

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असम के छठे ज्योतिर्लिंग के दावे पर महाराष्ट्र में मचा बवाल

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूज़ग्राम हिंदी:  महाराष्ट्र(Maharashtra) में बुधवार को असम(Assam) सरकार के एक विज्ञापन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। विज्ञापन में दावा किया गया है कि भारत का छठा ज्योतिर्लिग(Jyotirlinga) पूर्वोत्तर राज्य में डाकिनी पहाड़ियों में कामरूप में स्थित है।

असम सरकार ने मंगलवार को विज्ञापन जारी किया जिसमें मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की तस्वीर है। वो इसमें महा शिवरात्रि (18 फरवरी) की लोगों को बधाई दे रहे हैं और असम आने का न्योता दे रहे हैं।

भारत के छठे ज्योतिर्लिग में आपका स्वागत है, मीडिया विज्ञापन में ये बात कही गई है, जिसमें देश के सभी 12 ज्योतिलिर्ंगो के नाम दिए गए हैं। छठे ज्योतिर्लिग के रूप में 'भीमाशंकर (डाकिनी)' के रूप में दिखाया गया है, एक शिवलिंग, एक त्रिशूल और डमरू के साथ।

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, पूरे भारत में 12 ज्योतिर्लिग हैं जिसमें से एक महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमाशंकर पहाड़ी के जंगलों में है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु जाते हैं।

'बेतुके' दावों पर विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने तुरंत असम और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बालासाहेबंची शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी शासन पर हमला बोला।

कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने पहला हमला करते हुए कहा, उद्योगों को छोड़ दें, भाजपा महाराष्ट्र से भगवान शिव तक को छीनना चाहती है। अब असम सरकार का दावा है कि भीमाशंकर का छठा ज्योतिलिर्ंग असम में है, पुणे में नहीं। हम इस बेतुके दावे की कड़ी निंदा करते हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने भी असम सरकार की आलोचना की और मांग की कि क्या भाजपा ने अब अपने उद्योगों और नौकरियों के साथ महाराष्ट्र के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाने को भी देने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से इस मामले पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, असम में बीजेपी सरकार जो कर रही है वह बिल्कुल अस्वीकार्य है और वह बिना किसी आधार के है।



सुले, तिवारी और सावंत ने शिंदे-फडणवीस सरकार से अपना रुख साफ करने को कहा, साथ ही ये भी कहा कि असम की भाजपा सरकार की 'ईशनिंदा' की आलोचना करें जिसने न केवल हिंदुओं, बल्कि महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाई है।

--आईएएनएस/VS

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